अगर आप एक सैलरीड कर्मचारी हैं और आपने घर किराये पर ले रखा है. तो आपको 18 प्रतिशत का गुड्स एंड सर्विसेज़ टैक्स (GST) आप पर लगेगा. ऐसी खबरें लगातार सामने आ रही है. लेकिन अब इस खबर के बारे में सरकार की ओर से सफाई सामने आई है. खबर वायरल होने के बाद सरकार ने इस पर जवाब दिया है. वहीं, पीआईबी ने इस खबर का फैक्ट चेक किया और इसे गलत करार दिया है.

यह भी पढ़ें: Mentha Oil Price 12 August: मेंथा तेल का आज का भाव क्या है, जानें

सरकार द्वारा चलाई जा रही PIB Fact Check ने इस खबर को फेक बताया. PIB Fact Check ने हाउस रेंट पर 18% जीएसटी की खबर पूरी तरह गलत है.

एक ट्वीट में पीआईबी ने कहा कि “रेजिडेंशियल यूनिट का किराया तभी टैक्स योग्य होता है जब इसे किसी जीएसटी रजिस्टर्ड कंपनी को कारोबार करने के लिए रेंट पर दिया जाता है.” 

इसमें आगे क्लियर किया गया है कि पर्सनल यूज के लिए अगर कोई व्यक्ति इसे किराए पर लेता है तो इस पर कोई जीएसटी नहीं देना पड़ेगा.” 

यह भी पढ़ें: APY rule change: जानें क्या है अटल पेंशन योजना और इसमें क्या बड़ा बदलाव हुआ है

यानी किसी कंपनी या व्यक्ति द्वारा कर्मचारी के रहने गेस्ट हाउस या दफ्तर के प्रयोग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली किसी आवासीय प्रॉपर्टी पर भी 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा.

नए नियम के मुताबिक, जीएसटी रजिस्टर्ड किरायेदार को reverse charge mechanism (RCM) के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होगा. वह इनपुट टैक्स क्रेडिट के मुताबिक डिडक्शन को दिखाकर GST क्लेम कर सकता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह 18 प्रतिशत जीएसटी तब लगेगा, जब किरायेदार जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड हो और जीएसटी रिटर्न भरने वाली श्रेणी में आता है.

उदाहरण के लिए, यदि किरायेदार द्वारा निवास के लिए प्रयोग की जा रही है या अगर मकान मालिक जीएसटी के तहत रजिस्टर्ड नहीं है (यानी मकान मालिक की कुल इनकम एक वित्त वर्ष में 20 लाख रुपये से ज्यादा नहीं है), तो जीएसटी नहीं लगेगा.

किन पर होगा असर

इस नए बदलाव का असर ऐसी कंपनियों या व्यवसायियों पर होगा, जिन्होंने अपने व्यापार के लिए रेजिडेंशिल प्रॉपर्टी को रेंट या लीज पर लिया है.

यह भी पढ़ें: रोजाना इस्तेमाल होनेवाली नमक बिगाड़ेगी बजट, बढ़ने वाली है कीमत

ऐसी कंपनियां भी वहन करेंगी, जो रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी को रेंट इसे गेस्ट हाउस की तरह प्रयोग करती हैं या कर्मचारियों के लिए रहने की जगह उपलब्ध कराती है, जो कंपनियां कर्मचारियों को फ्री में रहने की जगह देती हैं. उन कंपनियों पर इससे एम्पलॉई कॉस्ट बढ़ जाएगा.