सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड टैक्स कलेक्शन में लंबी छलांग लगाई है. जब कोरोना महामारी की वजह से लोगों के रोजगार छिन गए थे. बड़े उद्योगों से लेकर छोटे उद्योग जगत संकट से जूझ रहा था. मजदूर घर लौटने को मजबूर थे. इसके बावजूद मोदी सरकार ने 2021-22 में लोगों से खूब टैक्स वसूला. जहां सरकार का अनुमान 22.17 लाख करोड़ रुपये टैक्स का अनुमान था वहां. सरकार का टैक्स कलेक्शन 27.07 लाख करोड़ रुपये रहा. यानी 5 लाख करोड़ रुपये ज्यादा टैक्स की वसूली हुई.

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सबसे बड़ी बात यह है कि, सरकार का टैक्स कलेक्शन तब बढ़ा जिस दौर में लोग कोरोना की वजह से असपताल के चक्कर काट रहे थे. लॉकडाउन की वजह से अलग-अलग शहरों में काम धंधे बंद थे. लोग घरों में बैठे थे. वहीं, सरकारी कर्मचारियों से लेकर प्राइवेट कर्मचारियों को वेतन कटौती का सामना करना पड़ा. होटल, रेस्तरां से लेकर टूरिज्म सब बंद थे. ऐसे दौर में सरकार को रिकॉर्ड टैक्स प्राप्त हुआ.

सरकार का कैसे भरा खजाना

आपको बता दें, सरकार का खजाना कॉरपोरेट जगत के मुनाफे और पेट्रोल-डीजल पर लगे टैक्स से सरकार ने खूब कमाया. कॉरपोरेट जगत ने 2021-22 में शानदार नतीजे पेश किए, कंपनियों के मुनाफे में जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई, जिसके चलते रिकॉर्ड कॉरपोरेट टैक्स कलेक्शन देखा गया. शेयर बाजार में भी शानदार तेजी देखी गई. निवेशकों ने निवेश पर खुब पैसा बनाया. सरकार ने खुद कहा है कि, टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के उपयोग के माध्यम से टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों ही करों में बेहतर अनुपालन के चलते ये सफलता हासिल हुई है.

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वहीं, पेट्रोल-डीजल पर अप्रत्यक्ष कर जिसमें जीएसटी और एक्साइज ड्यूटी शामिल है उसके कलेक्शन में तेजी आई है. तो बड़ी वजह पेट्रोल सरकार द्वारा पेट्रोल डीजल पर वसूला जाने वाला एक्साइज ड्यूटी भी शामिल है.

सरकार ने 4 नवंबर 2021 के बाद से पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये एक्साइज ड्यूटी वसूल रही है. लेकिन इससे पहले मोदी सरकार ने पेट्रोल पर 32.90 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 31.80 रुपये प्रति लीटर एक्साइज ड्यूटी वसूलती थी. 2020-21 में सरकार पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी सेस के जरिए 4.55 लाख करोड़ रुपये का राजस्व हासिल किया था.

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जनता के हाथ लगी महंगाई

पेट्रोल-डीजल पर सरकार ने एक्साइज ड्यूटी के जरिए खूब खजाना भरा. जब कच्चे तेल के दामों में कमी आई तब सरकार ने इसका फायदा लोगों को नहीं दिया. लेकिन जब कच्चे तेल की कीमत बढ़ी तो तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ाने में जरा भी देर नहीं लगाई. इससे लोगों को महंगे तेल की कीमत चुकानी पड़ी. यही नहीं इससे माल ढुलाई से लेकर हर चीज महंगी होते गई. जनता को महंगाई की चौतरफा मार झेलनी पड़ी है.

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वहीं, सब्सिडी की बात करें तो बीते साल सरकार ने एलपीजी सिलेंडर पर सब्सिडी देने पर रोक लगा दी थी जिसके चलते लोगों को एलपीजी सिलेंडर के लिए ज्यादा पैसे चुकाने पड़े. 2021-22 में पेट्रोलियम सब्सिडी बिल सरकार का 14,073.35 करोड़ रुपये से घटकर 6516.92 करोड़ रहने का अनुमान है वो इसलिए क्योंकि सरकार ने रसोई गैस पर सब्सिडी नहीं दिया. जबकि 2020-21 में पेट्रोलियम सब्सिडी बिल 39054.79 करोड़ रुपये रहा था. 2022-23 में तो बजट में पेट्रोलियम सब्सिडी जिसमें एलपीजी और किरासन तेल शामिल है उसपर सरकार बीते वर्ष से 11 फीसदी कम केवल 5813 करोड़ रुपये खर्च करेगी.