भारत सरकार निजीकरण (Privatization) की ओर तेजी से आगे बढ़ रही है. इस दौरान सरकार दो सरकारी बैंकों का निजीकरण की तैयारी कर ली है. माना जा रहा है कि, सितंबर 2022 तक निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो सकती है. हालांकि, सरकारी कर्मचारी इसका लगातार विरोध कर रहे हैं. सरकार बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन करके पीएसयू बैंकों में विदेशी स्वामित्व पर 20 फीसदी की सीमा को हटाने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि सरकार ने इसके लिए दो सरकारी बैंक शॉर्ट लिस्टेड भी कर चुके हैं.

यह भी पढ़ेंः Investment Plan NPS में 15 जुलाई से क्या होनेवाला है बदलाव, जान लें

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इससे जुड़े अधिकारियों ने जानकारी दी है कि, इस बदलाव की तैयारी लगभग हो चुकी है. कैबिनेट की मंजूरी में थोड़ा वक्त लग सकता है. 18 जुलाई से शुरू होनेवाले मानसून सत्र में इस पर संशोधन की संभावना है. जानकारी के मुताबिक, सरकार का उद्देश्य सितंबर तक कम से कम एक बैंक का प्राइवेटाइजेशन सुनिश्चित करना है.

यह भी पढ़ेंः IT Return: ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न कैसे फाइल करें? जानें पूरी प्रोसेस

हालांकि, अब तक बैकों का नाम फाइनल नहीं किया गया है. विधायी प्रक्रिया पूरी होने के बाद मंत्रियों का समूह निजीकरण के लिए बैकों के नाम फाइनल करेगा.

आपको बता दें, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट पेश करते हुए वित्त वर्ष 22 में आईडीबीआई बैंक के साथ दो सरकारी बैंकों का निजीकरण की घोषणा की थी.

यह भी पढ़ेंः PAN Card के 10 नंबरों का क्या है मतलब? इसमें छिपी होती है खास जानकारी

सूत्रों की माने तो निजीकरण के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) को संभवतः चुना जाएगा. इसका मतलब है कि सबसे पहले इन दो बैकों का निजीकरण सबसे पहले किया जा सकता है.