Cassava Farming: आज के समय में खेती किसानों (Farmer) के लिए पहले की तुलना में अधिक लाभकारी साबित हो रही है. भारत के किसान अब नई-नई फसलों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने की ओर बढ़ रहे हैं इन्हीं में से एक है कसावा की खेती. ये खेती (Farming) किसानों के बीच अधिक लोकप्रिय हो रही है.
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बागवानी की फसलों की केटेगरी में कसावा (How to Cultivate Cassava) को गिना जाता है. कसावा का प्रयोग साबूदाना को बनाने में किया जाता है. कसावा की खेती दक्षिण भारत में बड़े पैमाने पर की जाती है.
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पशुओं के चारे के तौर पर भी कर सकते हैं उपयोग
साबूदाना बनाने के अतिरिक्त कसावा का प्रयोग पशुओं के चारे के तौर पर किया जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पशुओं को कसावा को खिलाने से उनमे दूध देने की कैपेसिटी बढ़ती है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कंद वाले फसलों की तरह ही कसावा की खेती भी जड़ों की रोपाई करके ही किया जाता है.
किस तरह की मिट्टी में होती हैं इसकी खेती
कसावा की खेती किसी भी तरह की मिट्टी और जलवायु में की जा सकती है. लेकिन इसकी खेती करते समय आप विशेष ध्यान रखें कि जिस खेत में खेती की जा रही है. वहां जलनिकासी की व्यवस्था सही हो.
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नहीं होगा किसानों का नुकसान
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कसावा की खेती से किसानों को नुकसान नहीं होगा. विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में साबूदाने का प्रयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है. इसी वजह से कसावा की खेती बुहत स्पीड से फल-फूल रही है. कई कंपनियां किसानों से जुड़कर कसावा की खेती की कांट्रैक्ट फार्मिंग कराने लगी हैं. इसके अतिरिक्त कसावा का निर्यात दूसरे देशों में भी अधिक किया जाता है, जिसकी वजह से किसानों के मुनाफे में बढ़ोतरी की संभावना बनी रहती है.
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कसावा की खेती में कीटनाशकों और रोग प्रबंधन की का झंझट ही नहीं रहता, जिसकी वजह से किसानों पर पड़ने वाला अतिरिक्त खेती का बोझ भी कम हो जाता है. साधारण किस्मों के मुकाबले ये 50 प्रतिशत तक अधिक उत्पादन देती है, जिसकी मार्किट में अच्छी कीमत मिलती है.