सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने कर्मचारियों को 6 महीने से 2 साल की अवधि के लिए लीव विदआउट पे देने की योजना को मंजूरी दे दी है.इसे 5 साल तक बढ़ाया भी जा सकता है. नागर विमानन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया द्वारा अपने कुछ कर्मचारियों को पांच साल के लिए बिना वेतन अवकाश पर भेजने के फैसले को उचित ठहराया है. पुरी ने कहा था कि एयर इंडिया में हर साल 500-600 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश ‘वहनीय’ नहीं है और एयर इंडिया को लागत कटौती के उपाय करने होंगे.

बता दें कि इससे पहले जारी एक आधिकारिक आदेश के मुताबिक निदेशक मंडल ने एयर इंडिया के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राजीव बंसल को कर्मचारियों की उपयुक्तता, दक्षता, क्षमता, प्रदर्शन की गुणवत्ता, कर्मचारी का स्वास्थ्य, पहले ड्यूटी के समय अनुपलब्धता, आदि के आधार पर छह महीने या दो साल के लिए बिना वेतन अनिवार्य अवकाश पर भेजने के लिए अधिकृत किया था और यह अवधि पांच साल तक बढ़ाई जा सकती है.

एयर इंडिया द्वारा 14 जुलाई को जारी आदेश में कहा गया था कि मुख्यालय में विभागों के प्रमुखों के साथ-साथ क्षेत्रीय कार्यालयों के निदेशक उपरोक्त कसौटियों के आधार पर प्रत्येक कर्मचारी का मूल्यांकन करेंगे और बिना वेतन अनिवार्य अवकाश के विकल्प के मामलों की पहचान करेंगे.

आदेश में कहा गया, ‘‘ऐसे कर्मचारियों के नामों को अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक की आवश्यक मंजूरी के लिए मुख्यालय में महाप्रबंधक (कार्मिक) को अग्रसारित किया जाना चाहिए.

इस संबंध में पूछे जाने पर एयर इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम इस मामले पर टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं.’’ उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस की महामारी की वजह से भारत और अन्य देशों में यात्रा पर लगे प्रतिबंध की वजह से विमानन कंपनियों पर बहुत अधिक असर हुआ है. भारत की सभी विमानन कंपनियों ने वेतन में कटौती, बिना वेतन छुट्टी पर भेजने, कर्मचारियों को निकालने सहित अन्य उपाय खर्चों में कटौती के लिए के लिए किए हैं.