Bageshwar Dham Dhirendra Krishna Shastri: मध्यप्रदेश के छतरपुर में बागेश्वर धाम है जहां धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का दरबार लगता है. इस दरबार में धीरेंद्र शास्त्री के चमत्कार मशहूर हैं. लोगों की मान्यता है कि यहां कोई किसी भी परेशानी के साथ आता है उसकी वो परेशानी बाब एक पर्चे पर लिखकर उसका निवारण कर देते हैं. धीरेंद्र शास्त्री को मानने वाले उनके इस चमत्कार को भगवान का आशीर्वाद समझते हैं और बाबा को भगवान का दूत मानते हैं. सोशल मीडिया पर बाबा के चर्चे काफी तेज हो गए और बहुत से लोगों ने उनके चमत्कार के लिए उन्हें चैलेंज भी दिया. धीरेंद्र शास्त्री को लेकर एक बात और बात चर्चा में रहती है कि वो अपना पैर नहीं छुआते हैं. लेकिन वो ऐसा क्यों करते हैं इसके पीछे एक वजह है.

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बाबा धीरेंद्र शास्त्री क्यों नहीं छुआते हैं अपना पैर? (Bageshwar Dham Dhirendra Krishna Shastri)

भारत में बागेश्वर धाम के बाबा धीरेंद्र शास्त्री की चर्चा जमकर हो रही है. कोई उनके चमत्कारों पर सवाल उठा रहा है तो कोई उन्हें भगवान का अवतार मान रहा है. उसी बीच उनका एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वो एक भक्त से पैर नहीं छुआए. ऐसा करने की उनकी एक वजह थी. धीरेंद्र शास्त्री ने एक मीडिया संस्था को इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि जो लोग सिद्धी प्राप्त करते हैं उनके अंदर एक शक्ति रहती है और उस शक्ति को धारण करने वाले व्यक्ति को छूने से उनका शरीर बहुत प्रभावित होता है. इसलिए बाबा अपना पैर नहीं छुआते हैं क्योंकि उनके अंदर जो शक्ति है और जो वो 24 घंटे साधना करते रहते हैं किसी और के छूने से वो भंग हो जाएगी. इसलिए वो किसी को खुद का शरीर नहीं छूने देते हैं. हालांकि हिंदू धर्म में सिद्ध पुरुषों का ऐसा ही है कि वो लोग अगर किसी चीज को पाने के लिए सिद्धी प्राप्त करना चाहते हैं तो दुनिया से दूर हो जाते हैं.

अगर बागेश्वर धाम की बात करें तो यहां हनुमान जी की पूजा होती है. धीरेंद्र शास्त्री के अनुसार उनके ऊपर हनुमान जी की कृपा है जिसके चलते वो लोगों का मन पढ़ लेते हैं. सोशल मीडिया की ताकत से धीरेंद्र शास्त्री के लाखों भक्त हो गए हैं.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 4 जुलाई, 1996 को मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के छोटे से गांव गड़ा में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जन्म हुआ था. उनका जन्म बहुत सामान्य परिवार से हैं उनके पिता का नाम राम करपाल गर्ग था और उनकी मां का नाम सरोज गर्ग है. उनके दादाजी का नाम भगवान दास गर्ग था जो निर्मोही अखाड़े से जुड़े थे. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री अपने दादा को गुरू मानते हैं और उनसे ही उन्होंने रामायण और भगवत गीता का अध्यययन सीखा है. गरीब परिवार में जन्में शास्त्री को उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं हो पाई.

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