Tulsi Ke Patte Gangajal: अक्सर आपने देखा होगा कि पूजा की थाली में तुलसी के पत्ते होते हैं. इन पत्तों को गंगाजल में रखा जाता है और आचमन भी इसी से किया जाता है. कभी आपके मन में ये बात आई होगी कि आखिर जल में तुलसी के पत्ते क्यों रखते हैं तो यहां आपको इसका जवाब मिल सकता है. तुलसी के पत्तों (Tulsi ke patte) को हिंदू धर्म में काफी महत्वता बताई गई है और इसका पौधा पूजनीय भी होता है. तुलसी के पत्तों और गंगाजल (Gangajal) को लेकर कई मान्यताएं हैं जिसके बारे में आपको बताते हैं.

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तुलसी के पत्तों को गंगाजल में क्यों डालते हैं?

तुलसी के पत्तों के बिना भगवान का प्रसाद नहीं बनता है. तुलसी के पत्तों को भगवान विष्णु जी का प्रिय भी माना गया है. हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे की पूजा की जाती है और हर घर में आपको तुलसी का पौधा मिल सकता है. ऐसी मान्यता है कि तांबे या पीतल के पात्र में कुछ जल मिलाने के बाद उसमें गंगाजल और तुलसी के पत्ते (तुलसी दल) मिलाकर रखने से वो पानी अमृत बन जाता है.

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भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार श्रीकृष्ण और श्रीराम को भी तुलसी के पत्ते काफी पसंद हैं और उनका भोग इसके बिना अधूरा होता है. भोग स्वरूप तुलसी के पत्ते को गंगाजल में मिलाकर उसे शुद्ध कर दिया जाता है. तुलसी के पत्तों को कभी सूरज ढलने के बाद हाथ भी नहीं लगाना चाहिए.

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ऐसी मान्यता है कि उस दौरान तुलसी जी नाराज हो जाती हैं.हिंदू धर्म में तुलसी को माता का स्वरूप कहा गया है. सनातन धर्म में तुलसी की महिमा की खूब सारी व्याख्यान हैं. तुलसी दल को पूजा की थाली और प्रसाद की जगह दी गई है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.