Vikram Samvat History In Hindi: हिन्दू धर्म में चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को नवसंवत की शुरुआत होती है. इसे भारतीय नववर्ष भी कहा जाता है. आपको बता दें कि इसका आरम्भ विक्रमादित्य के द्वारा किया गया था, इसलिए इसे विक्रम संवत (Vikram Samvat 2080) के नाम से भी जाना जाता है. इतिहास के मुताबिक, कहा जाता है कि राजा विक्रमादित्य ने इसकी शुरुआत उनके समय में सबसे बड़े खगोल शास्त्री वराहमिहिर की मदद से की थी. वराहमिहिर की ही सहायता से इस संवत के प्रसार में मदद मिली. गौरतलब है कि ये अंग्रेजी कैलेंडर से 57 वर्ष आगे है, जैसे की 2023 + 57 = 2080 विक्रम संवत चल रहा है.

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कौन थे सम्राट विक्रमादित्य? (Who was Samrat Vikramaditya)

इतिहास के अनुसार, महाराजा विक्रमादित्य उज्जैन के सम्राट थे, जिन्होंने संपूर्ण भारत पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया और एक चक्रवर्ती सम्राट के रूप में जाने गए. आपको बता दें कि महाराजा विक्रमादित्य के जीवन को लेकर इतिहासकारों में काफी मतभेद है. अलग-अलग इतिहासकार उनके जीवन से जुड़ी हुई अलग-अलग अवधारणाएं प्रस्तुत करते हैं. इतिहासकारों के समर्थित एकमत के अनुसार, महाराजा विक्रमादित्य का जन्म 102 ईसा पूर्व में हुआ था. महाराजा विक्रमादित्य केपिता का नाम गंधर्व सेन था जो नाबोवाहन के पुत्र थे. महाराजा विक्रमादित्य के पिता राजा गंधर्व सेन को कई नामों से पुकारा जाता था, जैसे कि उन्हें महेंद्रादित्य, गर्द भिल कह कर भी पुकारा जाता था.

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सम्राट विक्रमादित्य का परिवार (Samrat Vikramaditya Family)

महाराजा विक्रमादित्य के पिता राजा गंधर्व सेन और माता का नाम सौम्यदर्शना था. राजा गंधर्व सेन के 2 पुत्र थे, पहले पुत्र महाराजा विक्रमादित्य थे औरदूसरे पुत्र भर्तहरि थे. इनकी एक बहन भी थी जिसका नाम मौनवती था. गौरतलब है कि महाराजा विक्रमादित्य की 5 पत्नियां थी, जिनका नाम क्रमश मलयावती, मदनलेखा, पद्मिनी, चेल्ल और चिल्लमहादेव था. इसके अलावा उनके दो पुत्र विक्रमचरित और विनयपाल थे, साथ ही साथ उनकी दो पुत्रियां प्रियंगुमंजरी (विद्योत्तमा) और वसुंधरा थीं. महाराजा विक्रमादित्य के जीवन में उनका भट्ट मात्र नाम के मित्र का भी जिक्र इतिहास में देखने को मिलता है.

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कब हुई थी विक्रम संवत की शुरुआत? (When Started Vikram Samvat)

रिपोर्ट्स की मानें, तो विक्रम संवत की शुरूआत की ज्योतिषीय गणना कहती है कि 2080 साल पहले विक्रम संवत की शुरुआत हुई, जो कि अंग्रेजी साल से भी 57 साल आगे है. क्योंकि अभी अंग्रेजी कैलेंडर का 2023वां साल ही चल रहा है, लेकिन विक्रम संवत (Vikram Samvat 2080) के अनुसार ये 2079 चल रहा है. आपको बता दें कि वैदिक ज्योतिष ने संवत्सरों के नाम भी तय किए हैं, जो करीब 60 साल में एक बार आता है. वर्तमान में नल नाम का संवत्सर चल रहा है, 22 मार्च को शुरू होने वाले विक्रम संवत्सर 2080 का नाम पिंगल होगा. इसके राजा बुध और मंत्री शुक्र रहने वाले हैं. अंग्रेजी कैलेंडर की तरह इसमें भी 12 महीने ही होते हैं. जिसमें चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भादौ (भाद्रपद), आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन शामिल हैं.

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चैत्र प्रतिपदा से ही क्यों होती है विक्रम संवत की शुरुआत?

ब्रह्म पुराण के अनुसार, पितामह ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया था. इसीलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है. चारों युगों में सबसे प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ था. इसलिए राजा विक्रमादित्य ने इसी तिथि से विक्रम संवत की शुरूआत की थी.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)