Indira Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष मान है. इन दिनों में अपने पितरों को मुक्ति दिलाने के लिए लोग कई तरह के पूजा पाठ करते हैं. वहीं आपको बता दें कि आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में यानी पितृ पक्ष (Pitru Paksha) की एकादशी को इंदिरा एकादशी (Indira Ekadashi) के रूप में जाना जाता है. मान्यतानुसार, इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु का पूजन शालिग्राम के रूप में करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

कहा जाता है कि व्रत के फलस्वरूप मिलने वाले पुण्य को पितरों को अर्पित करने से पितरों के दोष समाप्त होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्त होती है. इसके साथ ही उन्हें स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है.

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भगवान श्री कृष्ण ने बताया एकादशी का महत्व

विशेषज्ञों के अनुसार, एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान कृष्ण से एकादशी के महत्व के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि वैसे तो सभी एकादशी का महत्व है, किंतु पितरों के उद्धार को देखते हुए आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है. इस एकादशी के अवसर पर विशेष वृत और पूजा पाठ करने से पितरों को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

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इंदिरा एकादशी व्रत कथा ( Indira Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, महिष्मति पुरी में इंद्रसेन नाम का एक राजा था. उस राजा को एक रात स्वप्न आया कि उसके पिता यमलोक में बहुत यातनाएं झेल रहे हैं. इसे देख कर राजा इंद्रसेन बहुत दुखी हुए और उन्होंने देवर्षि नारद को बुलाकर उन्हे पूरा स्वप्न बताया और पिता को इससे मुक्ति दिलाने का उपाय पूछा, तो नारद मुनि ने उन्हें इंदिरा एकादशी के व्रत का महत्व बताते हुए, उसे धारण करने की सलाह दी.

राजा ने नारद मुनि के बताए अनुसार, विधि-विधान से एकादशी का व्रत कर भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की. इस व्रत और पूजन से प्राप्त पुण्य के पितर अर्पण के प्रभाव से राजा इंद्रसेन के पिता को सद्गति प्राप्त हुई और वह स्वर्ग लोक चले गए. इसके बाद इस व्रत के बारें में पूरे राज्य में शोर हो गया और राजा की राजा की देखा-देखी प्रजा जनों ने भी अपने पितरों को गति देने के लिए इस व्रत को किया और अपने-अपने पितरों को स्वर्ग प्राप्त कराया.

तब से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से पितरों को पापों से मुक्ति मिलती है और वह यमलोक की यात्रा समाप्त कर सीधे वैकुंठ पहुंचते हैं. तभी से श्राद्ध पक्ष में इंदिरा एकादशी का व्रत और पूजन करने का विधान है. इस बार एकादशी 21 सितंबर 2022 को पड़ रही है, जिसे विधि विधान के साथ मनाया जाएगा.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.