हिंदू धर्म शास्‍त्रों के मुताबिक जब ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो उसे सजाने-संवारने का काम भगवान विश्वकर्मा ने किया. उन्‍हें इस सृष्टि का सबसे बड़ा और पहला इंजीनियर माना जाता है. कन्‍या संक्रांति के दिन भगवान विश्‍वकर्मा की जयंती मनाई जाती है. कन्‍या संक्रांति से मतलब है कि जिस दिन सूर्य कन्‍या राशि में गोचर करते हैं. कन्‍या संक्रांति के दिन विश्‍वकर्मा पूजा की जाती है. इस दिन लोग अपने औजारों-मशीनों की पूजा करते हैं. कारखानों में लगी मशीनों और वाहनों की पूजा की जाती है.

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विश्‍वकर्मा पूजा 2022 पर शुभ योग

इस साल विश्‍वकर्मा पूजा के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. पंचांग के मुताबिक विश्वकर्मा पूजा के दिन 17 सितंबर को सुबह से रात तक वृद्धि योग रहेगा. इसके अलावा सुबह से दोपहर तक अमृत सिद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बनेंगे.

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फिर द्विपुष्कर योग बनेगा. इन योगों को ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्‍वपूर्ण माना गया है. इन योग में पूजा करने से कई गुना ज्‍यादा फल मिलता है. 17 सितंबर को विश्‍वकर्मा पूजा करने और मशीन-वाहनों की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 07 बजकर 35 मिनट से सुबह 09 बजकर 10 मिनट तक रहेगा. वहीं दोपहर में शुभ मुहूर्त 01 बजकर 45 मिनट से दोपहर 03 बजकर 20 मिनट तक है.

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विश्वकर्मा पूजा विधि

विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी स्नान करके साफ कपड़े पहनें. फिर अपने कार्यस्‍थल पर चौकी पर नया पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें. फिर मशीनों, औजारों, वाहनों की पूजा करें. इस दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों का जाप करें. उन्‍हें हल्‍दी, अक्षत, फूल अर्पित करें. धूप-दीप दिखाएं. फल मिठाइयों का भोग लगाएं. आखिर में भगवान विश्वकर्मा की आरती करें. अंत में कर्मचारियों को प्रसाद बांटें.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.