हिंदू (Hindu) धर्म में नाग पंचमी (Nag Panchami) पर्व का बहुत महत्व है. नाग पंचमी के दिन भगवान शिव के आभूषण नाग देव की पूजा की जाती है. पौराणिक काल से सांपों की देवताओं की तरह पूजा की जाती है. इस बार 02 अगस्त को नाग पंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है.

नागपंचमी के अवसर पर प्रयागराज (Prayagraj) में दारागंज के नागवासुकि मंदिर की महिमा विशेष रूप से बढ़ जाती है. न्यूज़ नेशन रिपोर्ट के मुताबिक, इस मंदिर में नागपंचमी और सावन के महीने में भक्तों की भीड़ लगी रहती है. माना जाता है कि इस दौरान मंदिर में विग्रह के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है और कालसर्प के दोष से छुटकारा मिल जाता है. ये विश्व का अनोखा मंदिर है. मान्यता है कि इस मंदिर में विग्रह के दर्शन मात्र से पाप का नाश होता है और कालसर्प दोष से भी निजात मिल जाती है.

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देश के दूर-दराज इलाकों से से भक्त मंदिर में पहुंचकर पूजा-पाठ करते हैं. यही कारण है कि नाग पंचमी के अवसर पर यहां मेला जैसा लगता है. मंदिर में भक्त पहुंच कर दर्शन करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं. यह मंदिर वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध और दुनिया का इकलौता मंदिर है, जिसमें नागवासुकि की आदमकद की प्रतिमा है.

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मंदिर के पूर्व दिशा के द्वार की देहली पर शंख बजाते हुए दो कीचक बने हैं. उनके बीच में लक्ष्मी के प्रतीक कमल दो हाथियों के साथ बने हैं. इसकी कलात्मकता काफी ज्यादा आकर्षित करती है. नागवासुकि का विग्रह भी प्रकार और आकार बहुत सुंदर है.

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नासिक के मंदिर से जुड़ी है परंपरा 

ऐसा बताया जाता है कि इस मंदिर की परंपरा महाराष्ट्र के नासिक की गोदावरी तट पर स्थित पैष्ण तीर्थ से जुड़ती है. बता दें कि असम के गुवाहाटी में नवग्रह-मंदिर ब्रह्मपुत्र के उत्तर तट पर स्थित है और वैसे ही प्रयागराज में नागवासुकि मंदिर भी गंगा के तट पर स्थित है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.