Radha Ashtami Story in Hindi: भाद्रपद का महीना त्योहारों की सौगात लेकर आता है. कृष्ण जन्माष्टमी के करीब 15 दिनों के बाद ही राधा अष्टमी व्रत (Radha Ashtami Vrat) रखा जाता है. शास्त्रों में राधा अष्टमी का वर्णन विस्तार से बताया गया है. शास्त्रों के अनुसार, इस दिन व्रत रखने से राधा रानी की कृपा बरसती है, साथ ही श्रीकृष्ण (Lord Krishna) भी प्रसन्न होते हैं. ऐसी भी मान्यता है कि राधाष्टमी का व्रत रखना इस दिन जरूरी होता है, अगर आप पूजा कर रहे हैं तो, वरना पूजा बेकार मानी जाती है. क्या आप जानते हैं कि राधाष्टमी का पर्व मनाया क्यों (Radha Ashtami Kyu Manate hain) जाता है?

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क्यों मनाते हैं राधाष्टमी का पर्व?

भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को ही राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है, और इस दिन व्रत रखना अनिवार्य होता है. भगवान श्री कृष्ण के बिना अधूरा है और राधा के बिना कृष्ण जी अधूरे हैं. इसलिए अगर आपने कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं तो आपको राधाष्टमी का व्रत भी जरूर रखना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार राधा रानी के जन्म दिवस के रूप में राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है.

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान श्री कृष्ण अपने धाम गोलोक में बैठे थे और वह किसी ध्यान में मग्न थे तभी अचानक उनके मन में एक बात आई. उनकी उस आनंद की लहर से एक बालिका प्रकट हो गई जिन्हें बाद में राधा कहा जाने लगा. इस वजह से ही श्री कृष्ण का जाप करन से पहले राधा का नाम लेना अनिवार्य होता है. अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो कृष्ण जाप का फल पूरा नहीं होता है. 

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राधाष्टमी का पर्व रावल और बरसाने में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार राधा रानी का जन्म सुबह 4 बजे हुआ था और इस वजह से यह उत्सर उसी रात से शुरू हो जाता है. जैसे ही इनका नाम स्पष्ट होता है तो इस दिन राधा रानी की पूजा का विधान भी है.

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ये त्योहार रावल, बरसान, मथुरा और वृंदावन के साथ जम्मू-कश्मीर में भी बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है. बता दें कि इस दिन राधा रानी का दर्शन करते हैं जो पूरे साल में केवल एक बार यानी राधाष्टमी के दिन ही होता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.