नवरात्रि की शुरूआत 26 सितंबर से होने जा रही है जोकि 5 अक्टूबर तक चलेंगे. ऐसे में 9 दिन तक मा दुर्गा की विधि विधान से पूजा की जाएगी. बता दें कि नवरात्रि के अवसर पर घटस्थापना का विशेष महत्व माना गया है. नवरात्रि के पहले दिन ही घटस्थापना के साथ जौ बोए जाने का रिवाज है. जौ बोने की यह परंपरा बहुत पुरानी है और मान्यता है कि यह नवरात्रि पूजा का एक मुख्य भाग है. तो चलिए आज हम आपको बताते हैं, जौ बोने के पीछे असली वजह क्या है.

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नवरात्रि के अवसर पर जौ बोए जानें का महत्व

नवरात्रि के अवसर पर जो जौ बोई जाती हैं, मान्यता है कि जौ जितनी ज्यादा बढ़ती है, घर में उतनी ही ज्यादा सुख समृद्धि का आगमन होता है. यह जौ कलश स्थापना के साथ मिट्टी के बर्तन में बोए जाते हैं, इसके अलावा इन्हें स्टील की थाली में भी बोया जा सकता है. हिंदू धर्म में चली आ रही परंपरा के अनुसार प्रतिदिन माता दुर्गा की पूजा करने से पहले इसमें जल अर्पित करने का प्रावधान है. कुछ ही दिनों में ये जौ हरी फसल की तरह नजर आने लगते हैं. वहीं नवरात्रि के समापन के बाद इन्हें विधि विधान से नदी में प्रवाहित कर दिया जाता है.

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जौ बोए जाने के पीछे की पौराणिक मान्यता 

हर जिंदगी डॉट कॉम की एक रिपोर्ट की मानें, तो जौ को भगवान ब्रह्मा जी का एक रूप माना जाता है. तो इसलिए ही घटस्थापना के समय नवरात्रि में जौ की पूजा सबसे पहले किए जाने की परंपरा है और उसे कलश में भी स्थापित किया जाता है. दरअसल, हमारे देश में फसल में पहला स्थान जौ की फसल को दिया गया है. इसलिए आस्था के नजरिए से जौ को पूज्यनीय माना गया है.

(नोटः ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए संबंधित विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें.)