Scientific significance of Mahashivratri: इस साल महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी, शनिवार को मनाया जाएगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि पर महादेव और माता पार्वती की पूजा करने और मंत्र जाप करने से भक्तों को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है. साथ ही सुख, धन और सौभाग्य की भी प्राप्ति होती है. महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती और शिव जी का विवाह हुआ था. महाशिवरात्रि के इस पावन अवसर पर अगर आप भगवान शिव की कृपा पाना चाहते हैं तो उन्हें प्रसन्न करने के लिए शिव के मंत्रों का जाप करना चाहिए. भारत में महाशिवरात्रि को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि शिवरात्रि का क्या महत्व है. आज हम शिवरात्रि के वैज्ञानिक महत्व (Scientific significance of Mahashivratri) के बारे में जानने की कोशिश करेंगे.

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महाशिवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि महादेव त्रिलोकी शक्तियों में से एक हैं. यह वास्तविक शक्ति का एक रूप है. त्रिभुवन की व्यवस्था में संहार का दायित्व भगवान शिव को दिया गया है. इसलिए भगवान शिव दुष्टों का नाश करने के लिए, अधर्म पर धर्म की जीत के लिए, असत्य पर सत्य की जीत के लिए, बुरी शक्तियों पर दैवीय शक्तियों के प्रभाव को स्थापित करने के लिए संहार करते हैं.

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अगर वैज्ञानिक महत्व की बात करें तो इस रात को ग्रह का उत्तरी गोलार्द्ध इस प्रकार स्थित होता है कि मनुष्य के भीतर की ऊर्जा स्वाभाविक रूप से ऊपर की ओर जाती है. यह एक ऐसा दिन है जब प्रकृति मनुष्य को उसके आध्यात्मिक शिखर तक पहुंचने में मदद करती है. शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा करने के लिए उर्जा कुंज लगाकर सीधे बैठना होता है. जिससे सरकंडे की हड्डी मजबूत हो जाती है और व्यक्ति अलौकिक शक्ति का अनुभव करता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.