सावन का पवित्र महीना चल रहा है और भक्त आज सावन का तीसरा सोमवार (Sawan ka Somvar) मना रहे हैं. वहीं शिवभक्त कांवड़ लेकर देवघर की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं. कांवड़ यात्रा ( Kawar yatra) करने वाले पूरे नियम के साथ देवघर की तरफ बढ़ रहे हैं. दूरदराज के लोग सोरों से गंगाजल लेकर अपने मनौती वाले देवस्थान की तरफ बढ़ रहे हैं और इस बार डाक कांवड़ ले जाने वालों की संख्या भी खूब देखने को मिल रही है. शायद ही आपको पता हो कि कांवड़ ले जाने वालों के कितने सख्त नियम होते हैं.

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बहुत कड़े होते हैं कांवड़ियों के नियम

डाक कांवड़ यात्रा झांकी की तरह सजाई जाती है. शिवभक्त धूमधाम से झूमते, गाते और नाचते कांवड़ की यात्रा पूरी करते हैं. डाक कांवड़िए हाथ में गंगाजल की शीशी लेकर निकलते हैं और श्रद्धालु थकने के बाद दूसरे साथी को गंगाजल पकड़ाते हैं और फिर दौड़ते हैं. खड़ी कावड़ यात्रा बहुत कठिन मानी जाती है. इसमें यात्री को रुकना नहीं होता है और ऐसी यात्रा बहुत कम लोग निकाल पाते हैं, हालांकि एटा से होकर ऐसे कांवड़ यात्री जा रहे हैं. इन्हें ले जाने के लिए कुछ नियम हैं..

1. कांवड़ यात्रा करते समय भक्तों को सिर्फ सात्विक भोजन करना होता है, जिसमें लहसुन-प्याज भी मना होता है.

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2. मांस या मदीरा का सेवन सख्ती के साथ मना होता है, अगर कोई ऐसा करता है तो महादेव का प्रकोप उन्हें झेलना होता है.

3. जब विश्राम करना हो तो लेट नहीं सकते, बस किसी पेड़ या दिवार के सहारे कांवड़ लटकाना होता है लेकिन अगर भक्त बिल्कुल असहाय हो जाए तो शिव जी का नाम लेकर लेट सकता है लेकिन कांवड़ कहीं लटकाना जरूरी है.

4. यात्रा के दौरान आप कांवड़ कहीं भी जमीन पर नहीं रख सकते हैं वरना आपकी इस यात्रा का कोई मतलब नहीं होता है.

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5. कांवड़ यात्रा के समय जिस मंदिर में जलाभिषेक का संकल्प लेते हैं वहां तक पैदल जाना होता है.

6. कांवड़ यात्रा के नियमों को पूरी श्रद्धा के साथ मानना चाहिए तभी भगवान शिव प्रसन्न होते हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.