सनातन धर्म में मोक्षदा एकादशी ( Mokshada Ekadashi 2022 )  का विशेष महत्व माना गया है. आपको बता दें कि मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मोक्षदा एकादशी (Mokshada Ekadashi Vrat 2022) के नाम से जाना जाता है.  बता दें कि एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है. हर एकादशी का अलग-अलग महत्व होता है. मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत (Benefits Of Mokshada Ekadashi Vrat) रखने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है. शास्त्रों के अनुसार, मोक्षदा एकादशी के दिन भगवान श्री कृष्ण के मुख से भगवत गीता का जन्म हुआ था. वहीं, इस पवित्र एकादशी की कहानी भगवान श्री कृष्ण ने स्वयं अर्जुन को अपने मुख से सुनाई थी. कहते हैं कि इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को कर्मों के बंधन से मुक्ति मिलती है. 

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मोक्षदा एकादशी तिथि 2022

हिंदू पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 3 दिसंबर 2022, शनिवार सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर से प्रारंभ होकर 04 दिसंबर, रविवार को सुबह 05 बजकर 30 मिनट तक रहने वाली है. उदयातिथि के अनुसार,  इस बार 3 दिसंबर को मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. वहीं, व्रत का पारण 4 दिसंबर दोपहर 01 बजकर 20 मिनट से 3 बजकर 27 मिनट कर किया जा सकता है. 

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मोक्षदा एकादशी व्रत के नियम

किसी भी व्रत को धारण करने से पहले उस व्रत से संबंधित सभी नियमों का ज्ञान होना बहुत जरूरी है. मान्यतानुसार, मोक्षदा एकादशी का व्रत दशमी तिथि से शुरू होता है और द्वादश तिथि के दिन इसका पारण किया जाता है. एकादशी की रात जागरण किया जाता है और रात में भगवान विष्णु के नाम का स्मरण किया जाता है. अगर मोक्षदा एकादशी के दिन व्रत नहीं रख सकते हैं, तो इस दिन चावल का सेवन न करें. शास्त्रों के अनुसार एकादशी का व्रत कभी भी हरि वासर में समाप्त नहीं किया जाता है. 

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विशेषज्ञों की मानें, तो द्वादशी तिथि के बाद व्रत का पारण करना पाप के समान होता है. इसके अलावा, द्वादशी तिथि के दिन सुबह ब्राह्मण को भोजन करवाने के बाद ही व्रत का पारण करना चाहिए. बता दें कि अगर द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो रही है, तो इस स्थिति में व्रत का पारण सूर्योदय के बाद किए जाने का विधान है.

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मोक्षदा एकादशी का महत्व

मोक्षदा एकादशी के व्रत का सनातन धर्म में बहुत मान है. इस दिन व्रत रखने से व्यक्ति को सौभाग्य की प्राप्ति होती है. इस दिन अगर कोई व्यक्ति पूरे विधि विधान और श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करता है. तो उस व्यक्ति को मृत्यु के बाद बैकुंठ की प्राप्ति होती है. ये एकादशी व्यक्ति को जीवन-मृत्यु के बंधनों से मुक्त करती है. इसीलिए इस एकादशी को मोक्षदा एकादशी नाम दिया गया है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.