Ravi Pradosh Vrat Katha in Hindi: चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को चैत्र प्रदोष व्रत मनाया जाता है. इस साल 19 मार्च दिन रविवार को प्रदोष वत पड़ा है इसलिए इसे रवि प्रदोष व्रत के नाम से भी जाना जा रहा है. रवि प्रदोष व्रत में शुभ संयोग बन रहा है और ऐसे मौके पर भगवान शंकर से आप कुछ भी मांगेंगे और उनके लिए व्रत रखेंगे तो सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी. रवि प्रदोष व्रत की पूजा विधिवत करें, व्रत का पालन करें और इस दिन कथा जरूर पढ़ें. रवि प्रदोष व्रत की कथा (Ravi Pradosh Vrat ki Katha) पढ़ने से आपकी पूजा सफल होगी.

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रवि प्रदोष व्रत की कथा क्या है? (Ravi Pradosh Vrat Katha in Hindi)

रवि प्रदोष व्रत के पौराणिक कथा के अनुसार, गंगा किनारे ऋषियों की एक गोष्ठी का आयोजन हुआ. जिसमें व्यासजी के शिष्य सूतजी भी पहुंचे तो ऋषियों ने उनका आदर किया और उनसे पूछा कि प्रदोष व्रत सबसे पहले किसने किय था. इसपर सूतजी ने बताया कि एक गरीब ब्राह्मण था जिसकी पत्नी प्रदोष व्रत रखती थी. उसे एक पुत्र भी था जो गंगा स्नान के लिए गया तो चोरों ने उसे घेर लिया. चोरों ने उससे कहा कि पिता का गुप्त धन कहां रखा है, बता दो नहीं तो तुम मारे जाओगे.

Ravi Pradosh Vrat Katha in Hindi
भगवान शिव और माता पार्वती. (फोटो साभार:@Vidyaunni4)

ब्राह्मण के पुत्र रोने लगा और चोरों से बहुत गिड़गिड़ाया लेकिन चोर नहीं माने.चोरों ने कहा कि पोटली में क्या है तो बालक ने कहा कि मां ने इसमें रोटियां दी हैं. इसपर चोरों ने उन्हें छोड़ दिया और बच्चा नगर पहुंच गया. बालक ज्यों ही नगर पहुंचा तो एक सिपाही ने उसे चोर समझकर पकड़किया और राजा के पास ले गया. राजा ने उसे कारावास में बंद कर दिया. जब बेटा घर नहीं पहुंचा तो उसकी मां को चिंता होने लगी और वो भगवान शिव से प्रार्थना करने लगी कि उसका बेटा कुशलता से घर आ जाए. भगवान शंकर उस राजा के सपने में आए जिसके कारावास में वो बच्चा बंद था.

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महादेव ने सपने में राजा से कहा कि उस बालक को छोड़ दो वो चोर नहीं है, अगर तुमने उसे नहीं छोड़ा तो तुम्हारा वैभव नष्ट हो सकता है. इसपर राजा ने उस बालक को छोड़ दिया. बालक घर आकर अपने माता-पिता को सारा वृतांत सुनाता है. इसके बाद ब्राह्मण परिवार डरते हुए उस राजा के पास माफी मांगने पहुंचा तो राजा प्रसन्न होकर उन्हें 5 गांव दान में दे दिए जिसके बाद परिवार सुखी जीवन जीने लगा. ये सबकुछ भगवान शिव के प्रति सच्ची निष्ठा और प्रदोष व्रत करने के कारण ही संभव हो पाया.

कैसे करें चैत्र प्रदोष व्रत की पूजा? (Chaitra Pradosh Vrat Puja Vidhi)

पूजा के लिए जो शुभ मुहूर्त आपको ऊपर बताया गया है उसी मुहूर्त में आपको स्नान करने के बाद स्वच्छ मन से पूजा शुरू करनी है. अगर प्रदोष व्रत वाले दिन अगर आप किसी प्राचीन शिव मंदिर जाएं तो और अच्छा होता है. वहां पूरे विश्वास के साथ ‘ॐ नमो धनदाय स्वाहा’ और शिव का पञ्चाक्षर मंत्र ‘ॐ नम: शिवाय:’ मंत्रों का जाप कम से कम 11 मालाओं का करें तो आपकी मनोकामनाएं जरुर पूरी होंगी. इन मंत्रों का जाप करने से पहले आपका मन स्वच्छ होना चाहिए और भगवान में पूर्णं विश्वास होना चाहिए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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