इस बार रक्षाबंधन के त्योहार पर भद्रा का ऐसा
साया छाया कि उसने सभी का गणित ही बिगाड़ कर ही रख दिया. लोगों में भद्रा को लेकर
इतना भय व्याप्त हो गया कि उन्होंने 11 अगस्त यानी गुरुवार को रक्षाबंधन
नहीं मनाया. हालांकि, कई
जगह से यह भी खबरें आईं कि इस बार भद्रा पाताल लोक में है, इसलिए पृथ्वी पर इसका
कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. लेकिन फिर भी ज्यादातर लोगों ने 11 तारीख को रक्षाबंधन
नहीं मनाया है. तो ऐसे में जो लोग भी 11 को रक्षाबंधन को न मनाकर, 12 को मनाने जा
रहे हैं. वह सभी लोग 12 अगस्त के लिए पूर्णिमा तिथि का समय और शुभ मुहूर्त अवश्य
जान लें.

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12 अगस्त को राखी बांधने का मुहुर्त

आप में से जो भी लोग 12 अगस्त को राखी का
त्योहार मनाने का विचार कर रहे हैं, उन्हें मुहुर्त का बहुत ज्यादा ध्यान रखना
होगा. जी हां, क्योंकि 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह 07 बजकर 06 मिनट तक ही लग
रही है. तो ऐसे में इस दिन आपको सुबह 07.06 बजे से पहले ही रक्षाबंधन मना लेना है.
क्योंकि इसके बाद भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जाएगी. तो ऐसे में आप
सुबह जल्दी उठकर रक्षाबंधन मना लें.

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रक्षाबंधन के अवसर पर पूजा विधि

रक्षाबंधन के दिन की जाने वाली पूजा का विशेष
महत्व होता है. ऐसे में इसका पूरे विधि विधान के साथ होना जरूरी है वरना इसका लाभ
नहीं मिल पाएगा. ऐसे में आपको कुछ बातों का पूरा ध्यान रखना होगा –

1. राखी बांधते या बंधवाते
समय भाई का मुख पूरब दिशा की ओर और बहन का पश्चिम दिशा की ओर होना शुभ होता है.

2. सबसे पहले भाई के सिर को
रुमाल या तौलिया से ढक दें.

3. इसके बाद भाई के माथे
पर अनामिका उंगली से तिलक लगाएं.

4. इसके बाद घी का दीपक
जलाकर अपने भाई की आरती उतारें.

5. इसके बाद भाई की कलाई
पर राखी बांधकर उसका मुंह मीठा कराएं.

6. उसके बाद मिष्ठान खिलाकर भाई के दाहिने
कलाई पर राखी बांधें.

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राखी बांधते समय इस मंत्र का जाप देता है शुभ
परिणाम (
Raksha Bandhan Mantra)

ॐ येन
बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।

तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।

अर्थ- जिस रक्षासूत्र को महान शक्तिशाली दानवेंद्र
राजा बलि को बांधा गया था, उसी रक्षाबंधन से मैं तुम्हें बांधती हूं, यह तुम्हारी
हमेशा रक्षा करे और संकट में तुम मेरी रक्षा करना.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)