भाई और बहन के पवित्र रिश्ते का दिन होता है रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) जिसे पूरे भारत में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते हैं. ये दिन भाई-बहन को समर्पित होता है, जब बहनें अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधकर अपने रिश्ते को मजबूत बनाती हैं. इसके साथ ही भाई को टीका लगाकर, मिठाई खिलाकर प्यार को मजबूत करती हैं तो वहीं भाई भी अपनी बहनों को प्याार सा भेंट देकर अपने स्नेह को दिखाते हैं. हर बार बेसब्री से इंतजार करने वाली बहनों के मन में अगर इस बार 11 और 12 अगस्त को लेकर कोई कंफ्यूजन है तो चलिए आपको सही दिन बताते हैं.

यह भी पढ़ें: तुलसीदास के 5 प्रसिद्ध दोहे और उनका हिंदी में अर्थ

क्या है रक्षाबंधन की सही तारीख?

हिंदू धर्म के सभी व्रत और त्योहार पंचांग की तिथियों के आधार पर ही मनाए जाते हैं. व्रत या त्योहार जिस तिथि में होती है वही तिथि वर्तमान साल में कब है ये देखकर उसकी तारीख और दिन तय किए जाते हैं. बहुत से व्रत और त्याहारों को उदियातिथि में मनाया जाता है और उसी आधार पर व्रत या त्योहार होते हैं. कई बार तिथि के साथ पूजा का मुहूर्त, चंद्रमा की उपस्थिति, प्रदोष काल भी देखने होते हैं. रक्षाबंधन का त्योहार पूर्मिणा तिथि को मनाया जाता है और ये देखना जरूरी है कि सावन की पूर्मिणा तिथि कब है.

यह भी पढ़ें: Tulsidas Jayanti Wishes: तुलसीदास जयंती पर अपनों से शेयर करें शुभ संदेश

काशी विश्वनाथ ऋषिकेश पंचांग के अनुसार, सावन पूर्मिणा तिथि 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 34 मिनट पर शुरू होकर अगले दिन 12 अगस्त की सुबह 5 बजकर 58 मिनट तक है. 12 अगस्त को 6 बजे के बाद सूर्योदय के समय भादप्रद की प्रतिपदा तिथि लगेगी और इस काल में श्रावण की पूर्णिमा तिथि नहीं होगी अन्यथा उस काल में राखी बांधने का शुभ मुहूर्त है ही नहीं. इस वजह से 11 अगस्त को ही रक्षाबंधन का त्योहार मान्य है जो उत्तम समय में पड़ रहा है.

यह भी पढ़ें: कब है तुलसीदास जयंती? जानें गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन से जुड़े किस्से

कैसे मनाते हैं रक्षाबंधन?

रक्षाबंधन भारत का प्रसिद्ध त्योहार है जो सदियों से चला आ रहा है और इसमें मान्यता है कि जब बहन भाई की कलाई पर राखी बांधती है तो भाई उनसे वादा करता है कि वो हमेशा उनकी रक्षा करेगा और उनके ऊपर कोई आंच नहीं आने देगा. हालांकि समय बदल रहा है और अब बहनें भाई के कंधे से कंधा मिलाकर हर क्षेत्र में उन्नति कर रही हैं. फिर भी ये त्योहार उतने ही प्यार से मनाया जाता है. भाई-बहन सुबह स्नान करके अच्छे से तैयार होकर बैठते हैं.

यह भी पढ़ें: कौन थे गोस्वामी तुलसीदास?

बहनें थाली में रोली, अक्षत, राक्षी और मिठाई लेकर भाई के सामने बैठती हैं. भाई के सिर पर रुमाल रखकर  बहनें उन्हें रोली का टीका लगाती हैं, अक्षत लगाती हैं, राखी बांधती हैं और मिठाई खिलाती हैं. इसके बाद भाई बहनों के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लेते हैं और बहनों को कोई ना कोई उपहार भेंट करते हैं.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.