सनातन में पितृपक्ष (Pitru Paksha 2023) का विशेष महत्व माना गया है और इस बार पितृ पक्ष या श्राद्ध पक्ष की शुरुआत 29 सितंबर दिन शुक्रवार से हो रही है. आपको बता दें कि इस दिन पूर्णिमा का श्राद्ध तर्पण किया जाएगा और अगले दिन यानी शनिवार को पितृपक्ष प्रतिपदा तिथि (प्रथम) का श्राद्ध तर्पण किया जाएगा. गौरतलब है कि पितरों की आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किए जाते हैं. इसे पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता है. अपने पूर्वजों की शांति के लिए पिंड दान और तर्पण किया जाता है. इसके साथ ही पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों को जल देने का विशेष महत्व माना गया है. तो चलिए जानते हैं कि जल क्यों और कैसे दिया जाता है. इसका क्या महत्व है.

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पितृ पक्ष में जल कैसे दिया जाता है?

आपको बता दें कि पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2023) के दिनों में पितरों को जल देने का विशेष महत्व माना गया है. पितृ पक्ष में पितरों को जल देना बहुत ही उत्तम माना गया है. गौरतलब है कि श्राद्ध करते समय पितरों का तर्पण भी किया जाता है यानी पिंडों पर अंगूठे के माध्यम से जलांजलि देने की परंपरा है. मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, हथेली के जिस हिस्से पर अंगूठा होता है, वह हिस्सा पितृ तीर्थ के रूप में जाना जाता है.

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पितरों को जल कितने बजे देना चाहिए?

जानकारों के मुताबिक, पितरों को जल देने के लिए सुबह 11.30 से 12.30 का समय होता है. इस समय पर व्यक्ति को पितरों को जल चढ़ाते समय कांसे या तांबे के लोटे का इस्तेमाल करना चाहिए.

पितरों को जल देते समय किस मंत्र का जाप करना चाहिए? (Pitru Paksha Mantra In Hindi)

पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2023) में पितरों को जल देते समय कहना चाहिए कि वसु रूप में मेरे पिता या पितृ जल ग्रहण करके तृप्त होंवें. ध्यान रहे कि पितरों को जल देते समय अपने गोत्र का नाम जरूर लें और इसी के साथ गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः. इस मंत्र का उच्चारण करते हुए 3 बार जल अर्पित करना चाहिए.

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पितरों को जल देने की विधि (Pitru Paksha Water Giving Process To Ancestors In Hindi)

पितृ पक्ष में जल देने से पहले हमें उसकी तैयारी कर लेनी चाहिए. इसके बाद जरूरी सामग्री को लेकर दक्षिण दिशा ओर मुख करके बैठ जाना चाहिए. फिर हाथ में जल, कुशा, अक्षत, फूल और काला तिल लेकर हाथ जोड़कर पितरों का ध्यान करना चाहिए और उन्हें जल ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करना चाहिए. इसके बाद पितरों को जल अर्पित करना चाहिए. पितरों को जल देते समय जल को भूमि पर 5-7 या 11 बार अंजलि से गिराएं. इस बात का ध्यान रखे कि इस प्रक्रिया को करते समय आपको कोई आपको रोके या टोके नहीं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)