Parivartini Ekadashi 2023: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पद्मा एकादशी या परिवर्तनी एकादशी कहा जाता है. दरअसल, हर माह में दो बार एकादशी आती है. यूं तो साल में 24 एकादशियां होती हैं और हर एकादशियों का अपना-अपना महत्व होता है, लेकिन इन एकादशियों पर यज्ञ करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है. इस बार पद्मा एकादशी 25 सितंबर, सोमवार को पड़ रही है.

महाभारत युद्ध के बाद एक दिन धर्मराज महाराज युधिष्ठिर अपने भाइयों के साथ बैठे थे, तभी उनके पूछने पर भगवान श्रीकृष्ण ने इस व्रत की महिमा बताई और कहा कि पापियों के पापों को नष्ट करने के लिए इससे बढ़कर कोई व्रत नहीं है. मोक्ष की इच्छा रखने वालों को यह व्रत अवश्य करना चाहिए. जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत और पूजा करता है उसे भगवान का सामीप्य प्राप्त होता है. इस पूजा को करने से तीनों लोकों की पूजा का फल एक साथ प्राप्त होता है.

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इस तरह इसका नाम पड़ा (Parivartini Ekadashi 2023)

यह तो सभी जानते हैं कि श्री विष्णु जी चार माह शयन करते हैं. जिस दिन वह सोना शुरू करते हैं उस दिन को देवशयनी एकादशी कहा जाता है. भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की एकादशी को वह सोते समय करवट बदलते हैं, इसलिए इसे परिवर्ती एकादशी कहा जाता है. इस व्रत को करने वाले की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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पूजा विधि

भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन सुबह स्नान करने के बाद पूजा स्थान में साफ फर्श पर लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए. इसके बाद मूर्ति की फूल माला, गंध आदि से पूजा करें और नैवेद्य अर्पित करें. पूरे दिन व्रत रखें और रात को भगवान की पूजा करें और फिर अगले दिन फिर से पूजा करें और ब्राह्मणों को दान आदि देकर भोजन कराएं और फिर खुद भोजन करें.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)