Navratri Kanya Pujan: 26 सितंबर को शारदीय नवरात्री की शुरुआत हुई थी. इसके बाद हर दिन देवी मां का दिन भक्तों ने मनाया लेकिन अब नवरात्री समापन की ओर जा रहा है. सतमी, अष्टमी और नवमी का दिन ऐसा होता है जब 9 दिन का व्रत रखने वाले श्रद्धालु कन्या पूजन करने के बाद इस व्रत का समापन करते हैं. मगर इस कन्या पूजन की विधि (Kanya Pujan Vidhi) क्या है और इसमें क्या-क्या खिलाना चाहिए, इसकी डिटेल आपको जाननी चाहिए.

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कन्या पूजन में क्या-क्या खिलाया जाता है?

पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कुष्मांडा, पांचवी स्कंदमाता, छठी कात्यायनी, सातवीं कालरात्री, आठवीं महागौरी और नौवीं सिद्धिदात्री के नाम से विख्यात ये 9 देवियों के नाम हैं. इनके नाम से 9 कन्याओं को सतमी, अष्टमी या नवमी के दिन बुलाकर उनकी पूजा करनी चाहिए.

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इनके साथ एक बटुक (बालक जो लंगूर बने) भी होना चाहिए जिसके बिना ये पूजा अधूरी मानी जाती है. इन 9 कन्याओं को अपनी सामर्थ्य अनुसार कुछ भी खिलाएं लेकिन मान्यता हलुआ, चना, पूड़ी, फल और गरी खिलाने की है. इसके साथ उन्हें कोई उपहार, दक्षणा देकर उनका आशीर्वाद लेकर विदा करना चाहिए.

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क्यों करते हैं कन्या पूजन?

ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु नवरात्रि में 9 दिन का व्रत रखते हैं उन्हें कन्या पूजन करके माता के स्वरूपों वाली बालिकाओं का आदर करना चाहिए. इन कन्याओं की पूजा करने से देवी मां प्रसन्न होती हैं और ऐसा भी कहा जाता है कि 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की कन्याओं में माता का वास होता है. इसलिए कन्या पूजन जरूर करें और अगर हो सके तो उन कन्याओं को अपने घर में आमंत्रित करें जो काफी गरीब घर से हों.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)