नवरात्रि (Navratri 2022) के पावन पर्व पर मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है. इस वर्ष पूरे नौ दिन तक मां की आराधना की जाएगी. हिन्दू (Hindu) धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है. मान्यता है कि मां दुर्गा के सभी स्वरूपों की पूजा (Puja) करने से भक्त की मनोकांमना पूरी होती हैं. नवरात्रि के शुभ अवसर पर हम आपको इस लेख में मातारानी के प्रसिद्ध शक्ति पीठों (Devi Shakti Peeth) के बारे में बताएंगे. शास्‍त्रों के मुताबिक, जहां-जहां सती के शरीर के टुकड़े, उनके वस्त्र या आभूषण गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठ का उदय हुआ है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि विश्वभर में केवल 51 स्थानों में माता के शक्तिपीठों का निर्माण हुआ है. अगले जन्म में सती ने राजा हिमालय के घर पार्वती के रूप में जन्म लिया और घोर तपस्या कर शिव को दुबारा पति रूप में प्राप्त किया. पवित्र शक्ति पीठ पूरे भारत के कई स्‍थानों पर स्थापित हैं.

देवी भागवत में 10 शक्तिपीठों का वर्णन है तो देवी पुराण में 51 और देवी गीता में 72 शक्तिपीठों का वर्णन मिलता है. तन्त्र चूड़ामणि में 52 शक्तिपीठ बताए गए हैं. देवी पुराण के अनुसार, कुछ शक्तिपीठ विदेश में भी स्थापित हैं. भारत में 42 शक्तिपीठ है और 5 देशों में 9 शक्तिपीठ हैं.

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विदेश में 9 शक्तिपीठ स्थापित है जो इस प्रकार हैं-बांग्लादेश में 4 , पाकिस्तान में 1, तिब्बत में 1, श्रीलंका में 1, नेपाल में 2 शक्तिपीठ हैं.

इसमें लंका शक्तिपीठ, श्रीलंका, मानस शक्तिपीठ, तिब्‍बत, गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, नेपाल, गण्डकी शक्तिपीठ, नेपाल, हिंगलाज शक्तिपीठ, पाकिस्‍तान,चट्टल शक्तिपीठ, चटगांव, गुह्येश्वरी शक्तिपीठ, नेपाल (काठमांडू),करतोयाघाट शक्तिपीठ, भवानीपुर,यशोर शक्तिपीठ, जैसोर शामिल हैं.

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मानस शक्तिपीठ, तिब्‍बत: तिब्बत के मानसरोवर तट पर स्थित हैं. यहां माता रानी की दाहिना हथेली गिरी थी. मानस शक्तिपीठ शक्ति की भैरव और दाक्षायणी अमर हैं.

हिंगलाज शक्तिपीठ, पाकिस्‍तान: पुराणों के मुताबिक, सती का सिर गिरा था. इसी वजह से मंदिर में माता अपने पूरे रूप में नहीं दिखतीं, बल्कि उनका केवल सिर नजर आता है.

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लंका शक्तिपीठ, श्रीलंका: यहां सती की “पायल” गिरी थी. लेकिन उस जगह का पता नहीं पायल श्रीलंका के किस स्थान पर गिरी थी.

गण्डकी शक्तिपीठ, नेपाल: इस शक्तिपीठ में सती के “दक्षिणगण्ड” (कपोल) गिरा था. यहां शक्ति ‘गण्डकी’ और भैरव चक्रपाणि हैं.

यशोर शक्तिपीठ, जैसोर: इस जगह पर सती की ‘बाई हथेली’ गिरी थी. यह शक्तिपीठ आज के समय में बांग्लादेश में खुलना जिले के जैसोर नामक नगर में स्थित हैं.

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करतोयाघाट शक्तिपीठ, भवानीपुर: इस स्थान पर त्रिनेत्र गिरा था. चट्टल शक्तिपीठ, चटगांव: यहां सती की ‘दाहिनी भुजा’ गिरी थी.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.