Shardiya Navratri 2022, 5th Day: 26 सितंबर से शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri)  शुरू हो चुके हैं जो 5 अक्टूबर तक रहेंगे. नवरात्रि के 9 दिनों तक माता धरती पर ही रहती हैं. इन 9 दिनों में माँ दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है. 30 सितंबर को नवरात्रि (Navratri) का पांचवा दिन है. इस दिन स्कंदमाता की पूजा -अर्चना की जाती है. स्कंदमाता (Skandmata) का स्वरूप अति सुंदर होता है. उनकी सवारी शेर होती है. स्कंदमाता की चार भुजाएं होती हैं, जिसमें से दाईं भुजा से वो स्कंद को गोद में लिए बैठी हुई हैं. पता हो कि भगवान स्कंद को कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है. मां ने अपनी दूसरी भुजा में कमल का पुष्प पकड़ा हुआ है. उनका ये रूप अत्यंत मोहक है.

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कहा जाता है कि नवरात्रि में स्कंदमाता की पूजा करने से आपके विचारों का शुद्धिकरण होता है. नकारात्मक विचार नष्ट हो जाते हैं और सकारात्मक विचार आते हैं. देवी स्कंदमाता को गौरी माता भी कहा जाता है. मान्यता है कि जिस किसी पर भी स्कंदमाता की कृपा होती है उसको ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं कि ममता की मूर्ति स्कंदमाता की पूजा की क्या है विधि, कैसे करें उनकी पूजा.

जानिए नवरात्र की पंचमी तिथि का शुभ मुहूर्त

आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि – सुबह 12 बजकर 10 मिनट से रात 10 बजकर 34 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 35 मिनट तक

राहुकाल- सुबह 10 बजकर 42 मिनट तक दोपहर 12 बजकर 11 मिनट तक

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स्कंदमाता की पूजा विधि

-सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें और पीले वस्त्र पहन लें.

-इसके बाद कलश पूजा करें और स्कंदमाता का ध्यान करें.

-माता को फूल चढ़ाएं अगर संभव होतो मां को पीले फूल अर्पित करें क्योंकि मां को पीला रंग प्रिय है.

-इसके बाद मां को भोग लगाएं.

-अंत में मन की आरती करें.

स्कंदमाता की पूजा के मंत्र 

या देवी सर्वभू‍तेषु स्कंदमाता रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया

शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी

महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी

त्राहिमाम स्कन्दमाते शत्रुनाम भयवर्धिनि

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)