आज के समय में हर कोई चाहता है कि उसके पास धन (Money) व वैभव (Wealth) बढ़ता रहे. इसके लिए वह बहुत तरह के जतन भी करता है. लेकिन आपको भी पता है कि महालक्ष्मी (Maa Laxmi) को खुश कर पाना इतना भी आसान नहीं है. इसके लिए मेहनत और लगन के साथ सच्ची श्रद्धा का होना बहुत जरूरी है. तो चलिए आज हम आपको बताने वाले हैं कि आप ऐसा क्या करें कि मां लक्ष्मी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे. दरअसल, जल्द ही महालक्ष्मी व्रत (Mahalaxmi Vrat 2022) की शुरुआत होने वाली है. यह व्रत 16 दिनों तक रखा जाता है. इन 16 दिनों तक महिलाएं महालक्ष्मी के लिए व्रत रखकर विधि-विधान से पूजा अर्चना ( Mahalxmi Puja) करती हैं. मान्यतानुसार ऐसा कहा जाता है कि इन दिनों में जो भी सच्चे श्रद्धा भाव से मां को प्रसन्न कर लेता है. उसके घर में कभी भी धन और वैभव की कमी नहीं होती है.

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महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत

महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से हो जाती है और 16 दिनों तक यह व्रत रखा जाता है. इस बार भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 3 सितंबर को लग रही है. लेकिन व्रत की शुरुआत 4 सितंबर से की जाएगी. जो कि अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी की 17 सितंबर को समाप्त होंगे. इन व्रतों को रखकर व विधि विधान से माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर के उन्हें प्रसन्न किया जा सकता है.

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शुभ मुहुर्त

वहीं हर भारतीय त्योहार की तरह ही महालक्ष्मी पूजन के लिए भी शुभ मुहुर्त का पता होना बहुत जरूरी है. आपको बता दें कि इस बार भाद्रपद शुक्ल की अष्टमी तिथि 3 सितंबर दोपहर 12 बजकर 28 मिनट से शुरू हो रही है और 4 सितंबर सुबह 10 बजकर 39 मिनट तक रहने वाली है. ऐसे में उदया तिथी के अनुसार, महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत 4 सितंबर से की जाएगी.

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महालक्ष्मी व्रत से संबंधित पौराणिक कथा

महालक्ष्मी व्रत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार, एक बहुत ही तेजस्वी राजा हुआ करते थे. सबकुछ होने के बाद भी उनके पास संतान नहीं थी. फिर किसी महंत ने उन्हें सलाह दी कि वह महालक्ष्मी का ध्यान करें. उनकी सभी इच्छाएं पूरी होंगी. उन्होंने उनकी बात मानकर महालक्ष्मी का सच्चे मन से ध्यान किया. तो माता ने रात में उनके स्वप्न में आकर 16 दिनों का व्रत करने की बात कही. सपने में महालक्ष्मी के दर्शन होने के बाद राजा ने ऐसा ही किया. कहा जाता है कि व्रत रखने के बाद उनको संतान की प्राप्ति हुई, तब से हर तरफ महालक्ष्मी का व्रत किए जाने की परंपरा का प्रारंभ हुआ.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.