Maha Shivratri Shiv Chalisa in Hindi: महाशिवरात्रि व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाने वाला सबसे अहम व्रत माना जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, महाशिवरात्रि के पर्व को प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी (Maha Shivratri 2023 Date) को मनाया जा रहा है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था. मान्यता के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिव चालीसा का पाठ करना शुभ माना गया है.

भगवान शिव पर आधारित 40 छन्दों से बनी यह लोकप्रिय प्रार्थना है. लोग महाशिवरात्रि चालीसा का पाठ करते हैं और इसके अलावा भगवान शिव को समर्पित अन्य त्योहारों पर शिव चालीसा का पाठ करते हैं. इस लेख में हम आपके लिए लेकर आये हैं. शिव चालीसा के लिरिक्स, जिनकी मदद से आप महाशिवरात्रि के दिन शिव चालीसा का पाठ कर सकते हैं.

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महाशिवरात्रि पर करें शिव चालीसा का पाठ (Maha Shivratri Shiv Chalisa)

जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥

तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥

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त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥

नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥

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कब है महाशिवरात्रि (Maha Shivratri 2023 Date)

महाशिवरात्रि व्रत 18 फरवरी 2023 को ही रखा जाएगा. क्योंकि चतुर्दशी तिथि का समापन 19 फरवरी 2023 की शाम को होगा. तो ऐसे में इस दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक शिव साधना करना भी उत्तम होगा.

महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा (Maha Shivratri 2023 Char Pahar Puja)

प्रथम पहर पूजा- 18 फरवरी को शाम 06:41 बजे से रात 09:47 बजे तक
द्वितीय पहर पूजा- 18 फरवरी को रात 09:47 बजे से रात 12:53 बजे तक
तृतीय पहर पूजा- 19 फरवरी को रात 12:53 बजे से 03:58 बजे तक
चतुर्थ पहर पूजा- 19 फरवरी को 03:58 बजे से सुबह 07:06 बजे तक
व्रत पारण- 19 फरवरी को सुबह 06:11 बजे से दोपहर 02:41 बजे तक

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क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि को लेकर सनातन धर्म ग्रंथों में कई तरह की कथा वर्णित की गई हैं. इन्हीं में से एक कथा है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का मिलन हुआ था. भगवान शिव ने फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर बैरागी छोड़कर माता पार्वती के साथ विवाह किया और गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था. यही कारण है कि प्रत्येक साल फाल्गुन माह की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का पर्व अधिक धूम-धाम के साथ मनाया जाता है.

ऐसा कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से इंसान को कई तरह की वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्यां खत्म होती है और साथ ही दांपत्य जीवन में सुख समृद्धि आती है. ऐसा बताया जाता है कि इस दिन सभी द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे. कई लोग तो 12 ज्योतिर्लिंग के प्रकट होने की खुशी में महाशिवरात्रि मनाते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)