Maa Kali Puja Mantra: नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां दुर्गा का सातवां स्वरूप मां काली का है और नवरात्रि के सातवें दिन मां काली की विशेष पूजा की जाती है. वैसे तो वेस्ट बंगाल में ही काली पूजा का प्रावधान सुनने को मिलता है लेकिन मां काली की पूजा सप्तमी के दिन देशभर में की जाती है. मां कालरात्रि शत्रुओं का संहार करने के लिए मां दुर्गा से अवतरित थीं. जो दिखने में जितनी भयानक उतनी करुणामयी माता भी हैं. श्रद्धा के साथ उनकी पूजा, आरती और चालिसा करने से मां प्रसन्न हो जाती हैं. उनका भयानक रूप बुरे काम करने वालों के लिए है, इसलिए मां की अराधना विधिवत जरूर करो.

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मां काली को प्रसन्न करने के लिए करें इन मंत्रों का जाप (Maa Kali Puja Mantra)

मां कालरात्रि के कई मंत्र हैं लेकिन एक ऐसा मंत्र है जिसे हर समस्या के उपाय के लिए पढ़ा जाता है वो इस प्रकार है-

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं हूं हूं ह्रीं ह्रीं स्वाहा।

इस मंत्र में क्रीं का मतलब चिंतामणि होता है और यही काली मां को प्रसन्न करने का विशेष मंत्र माना जाता है. उनकी पूजा के समय इस मंत्र का कम से कम 108 बार और ज्यादा से ज्यादा अगिनत जाप कर सकते हैं.

मां काली की पूजा विधि (Maa Kali Puja Vidhi)

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी 28 मार्च दिन मंगलवार को लग रही है. इस दिन मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा करनी चाहिए. मां कालरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त 28 मार्च की सुबह 5 बजकर 51 मिनट से सुबह 8 बजकर 23 मिनट तक है. इस दिन की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है. मां काली का पसंदीदा रंग नारंगी है जो तेज, ज्ञान और शांति का प्रतिक माना जाता है.

28 मार्च की सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद मां कालरात्रि की पूजा आरंभ करें. उनकी प्रतिमा पर नारंगी वस्त्र पहनाएं, चंदन, रोली लगाएं, देवी का आह्वान करें और उन्हें फूल, मिष्ठान, धूप-दीप अर्पित करें. मां कालरात्रि का पसंदीदा भोग गुड़ है इसलिए इस दिन गुड़ का हलवा, खीर या सिर्फ गुड़ भी चढ़ा सकते हैं. मां कालरात्रि के मंत्रों का जाप करें, काली चालिसा पढ़ें और मां काली आरती गाएं.

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Maa Kali Puja Mantra
नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा होती है. (फोटो साभार: Unsplash)

काली माता की आरती (Kali Mata Ki Aarti)

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मईया हम सब उतारें तेरी आरती।।

तेरे भक्तजनों पर माता भीड़ पड़ी है भारी
दानव दल पर टूट पड़ो मां करके सिंह सवारी
सौ सौ सिंहों से तू बलशाली, दस-दस भुजाओं वाली
दुखियों के दुख को निवारती, ओ मईया हम सब उतारें तेरी आरती।।

मां-बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता
पूत-कपूत सुने है पर ना माता सुनी कुमाता
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली
सतियों के सत को संवारती, ओ मईया हम सब उतारें तेरी आरती।।

नहीं मांगते धन और दौलत ना चांदी ना सोना
हम तो मांगे मां तेरे मन में एक छोटा सा कोना
सबकी बिगड़ी बनाने वाली, लाज बचाने वाली
भक्तों को तू ही है संभालती, ओ मईया हम सब उतारें तेरी आरती।।

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली
तेरे ही गुण गाएं भारती, ओ मईया हम सब उतारें तेरी आरती।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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