Navratri 2022:  26 सितंबर 2022 से नवरात्रि का आरंभ होने जा रहा है. हिन्दुओं में नवरात्रि का बहुत महत्व माना जाता है. इस दिन से घर-घर में शक्ति की भक्ति शुरू हो जाती है. सभी माता की भक्ति करते हैं और नौ दिनों तक धूप-दीप, कपूर आदि से पूजा-पाठ व अनुष्ठान करते हैं. नवरात्रि में अखंड ज्योत का विशेष महत्व बताया गया है, हालांकि सभी भक्त अखंड ज्योत नहीं जलाते क्योंकि इसके कुछ नियम होते हैं. फिर भी बहुत से भक्त ऐसे हैं जो इसका महत्व जानते हुए अखंड ज्योत जलाते हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं कि नवरात्रि में अखंड ज्योत का का क्या महत्व है? और इसके क्या नियम होते हैं?

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अखंड ज्योति का महत्व

नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने का बहुत महत्व बताया गया है. ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि में अखंड ज्योत जलाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है. मान्यता है कि अखंड ज्योति जलाने से शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिल जाती है. नवरात्रि में जलने वाली ये अखंड ज्योत हमें अंधरे से उजाले की ओर जाने के लिए प्रेरित करती है. पुरानी मान्यता है कि अखंड ज्योति की लौ सभी पापों का नाश करती है और खुशहाली की प्रतीक होती है. ज्योतिष के अनुसार यदि नवरात्रि के पावन पर्व पर नौ दिनों तक यह अखंड ज्योति बिना खंडित हुए (बिना बुझे) जलती रहती है तो माना जाता है कि माता आपकी भक्ति से प्रसन्न है. और आपकी सभी मनोकामना पूरी करती हैं. अखंड ज्योति का अपने आप बुझ जाना अशुभ माना जाता है.

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अखंड ज्योति जलाने के नियम

-अखंड ज्योति को जमीन की बजाए किसी लकड़ी के पटरे पर लाल कपडा बिछाकर जलाना चाहिए.

-ज्योति को प्रज्वलित करने से पहले इसके नीचे अष्टदल जरूर बनाना चाहिए.

-संभव हो तो अखंड ज्योति को जलाने के लिए शुद्ध देसी घी का प्रयोग करें, लेकिन तिल के तेल और सरसों के तेल की ज्योत भी जलाई जा सकती है.

-अखंड ज्योति को कभी भी अकेले नहीं छोड़ना चाहिए.

– अखंड ज्योत की तरफ पीठ करके नहीं बैठना चाहिए.

-अखंड ज्योत को कभी भी गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए.

-अखंड ज्योत को रुई के बजाए कलावे से जलाना चाहिए.

-अखंड ज्योति मां दुर्गा के दाईं ओर जलानी चाहिए. ध्यान रहे कि यदि आप सरसों के तेल की ज्योत जला रहे हैं तो मां के बाईं ओर जलानी चाहिए.

-अखंड ज्योत को जलाने के बड़े नियम होते हैं. यदि आपको लगता है कि आप इन नियमों का ठीक से पालन नहीं कर सकते तो आप देसी घी की ज्योत मंदिर में जाकर जला सकते हैं.

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अखंड ज्योत जलाने के मंत्र

ओम जयंती मंगला काली भद्रकाली कृपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु‍ते

दीपज्योति: परब्रह्म: दीपज्योति जनार्दन: दीपोहरतिमे पापं संध्यादीपं नामोस्तुते।

शुभं करोतु कल्याणमारोग्यं सुख संपदा, शत्रुवृद्धि विनाशं च दीपज्योति: नमोस्तुति।।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)