Jitiya vrat ka paran; हिंदू (Hindu) कैलेंडर के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2022) अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है. इस साल जीवित्पुत्रिका व्रत 17 सितंबर को दोपहर 02:14 बजे से शुरू हो रही है और 18 सितंबर को शाम 04:32 बजे खत्म होगी. उदय तिथि के अनुसार, जीवित्पुत्रिका का व्रत (Fast) 18 सितंबर को रखा जाएगा. 17 सितंबर 2022 को नहाए-खाय होगा और रविवार 18 सितंबर 2022 को निर्जला व्रत रखा जाएगा. 19 सितंबर को सूर्योदय के बाद व्रत तोड़ा जाएगा.

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जीवित्पुत्रिका व्रत 2022 का शुभ मुहूर्त

सिद्धि योग- 18 सितंबर अभिजीत मुहूर्त 06 से 34 मिनट – 11.51 बजे से दोपहर 12.40 बजे तक रहेगा

जीवित्पुत्रिका व्रत और अमृत मुहूर्त के लाभ – प्रातः 09:11 से दोपहर 12.15 बजे तक रहेगा

उत्तम मुहूर्त – दोपहर 01:47 बजे से दोपहर 03.19 बजे तक रहेगा

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जितिया व्रत 2022 व्रत पारण का समय-

जितिया व्रत का पारण 19 सितंबर 2022 को सुबह 06:10 बजे के बाद किया जा सकता है.

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जितिया व्रत से जुड़ी पौराणिक कथाएं

हिंदू पौराणिक कथा के अनुसार कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा बहुत क्रोधित हुए थे. उनके हृदय में प्रतिशोध की भावना जल रही थी. इस कारण वह पांडवों के शिविर में प्रवेश कर गए. शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थे. अश्वत्थामा ने उन्हें पांडव समझकर मार डाला. ये सभी द्रौपदी की पांचों संतान थे. तब अर्जुन ने उन्हें बंदी बना लिया और उनका दिव्य रत्न छीन लिया. अश्वत्थामा ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को नष्ट करके बदला लिया. ऐसे में भगवान कृष्ण ने अपने सभी गुणों का फल उत्तरा के अजन्मे बच्चे को दिया और उसे गर्भ में पुनर्जीवित कर दिया. गर्भ में मरने के बाद जीवित रहने के कारण उस बालक का नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा. तभी से जितिया का व्रत संतान की लंबी आयु और सौभाग्य के लिए किया जाने लगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)