Jal Jhulni Ekadashi Vrat Katha: सनातन धर्म में हर व्रत-त्योहार हिंदू कैलेंडर के अनुसार पड़ते हैं. जिसमें एकादशी प्रमुख व्रत है. साल में 24 एकादशी व्रत पड़ते हैं जिसमें से हर महीने 2 एकादशी व्रत होते हैं. हर एकादशी व्रत के मतलब अलग-अलग होते हैं और भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को जल झूलनी एकादशी कहते हैं. इस साल ये दिन 25 सितंबर दिन सोमवार को पड़ रही है और इसे हिंदू धर्म में काफी धूमधाम से मनाई जाएगी. हर व्रत में कथा का पढ़ना बहुत जरूरी होता है और जल झूलनी एकादशी व्रत कथा को भी पूजा के समय जरूर पढ़ें. ये व्रत कथा क्या है, इसमें क्या मान्यता है चलिए आपको विस्तार में बताते हैं.

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क्या है जल झूलनी एकादशी व्रत कथा? (Jal Jhulni Ekadashi Vrat Katha)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सूर्यवंश में मान्धाता नाम का एक राजा हुआ करता था जिसका नाम चक्रवर्ती था. उनके राज्य में सुख संपदा की कोई कमी नहीं थी और प्रजा उनके राज्य में सुखद जीवन बिता रही थी. लेकिन ऐसा एक बार उस राज्य में 3 सालों तक वर्षा नहीं हुई और प्रजा व्याकुल होकर महाराज के पास गई. प्रजा के दुख से दुखी होकर राजा भगवान विष्णु के पास गए और अपनी सारी व्यथा उनसे कही. राजा ने श्रीहरि से बताया कि प्रजा के दुख को दूर करने के लिए उन्हें क्या करना चाहिए. भगवान विष्णु ने राजा को भादो मास के शुक्ल पक्ष की एकादसी व्रत करने का सुझाव दिया.

राजा ने ऐसा ही किया और उनका ये एकादशी का व्रत यही उनके दुख का निवारण बना. राजा के राज्य में वर्षा होने लगी और प्रजा के कष्ट दूर हुए. जल झूमकर बरसने के कारण इस एकादशी व्रत को जल झूलनी व्रत कहा जाने लगा. ऐसी मान्यता है कि जल झूलनी एकादशी का व्रत जो लोग करते हैं उनकी समस्त परेशानियां दूर होती हैं और उन्हें निसंदेह फल की प्राप्ति होती है.

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कब है जल झूलनी एकादशी? (Jal Jhulni Ekadashi 2023 Date)

भगवान विष्णु को समर्पित जल झूलनी एकादशी का व्रत 25 सितंबर 2023 दिन सोमवार को रखा जाएगा. वहीं वैष्णव वाले इस एकादशी व्रत को 26 सितंबर दिन मंगलवार को रखेंगे. 25 सितंबर की सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. इसके बाद पूजन स्थल में जाकर भगवान विष्णु के सामने अपने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पूरे दिन व्रत रखें और शाम के समय पूजा करके फलहारी कर लें. हर महीने की एकादशी को अलग-अलग नामो से जाना जाता है लेकिन भाद्रपद माह की दूसरी एकादशी को जल झूलनी या परिवर्तिनी एकादशी इसलिए कहते हैं क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु योग निद्रा के दौरान इसी दिन करवट लेते हैं और लोग इस दिन को उनकी पूजा-अराधना करते हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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