Jagannath Puri Temple History: इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून से शुरू होने जा रही है. ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ का एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है, जहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ सिंहासन पर विराजमान हैं. कहा जाता है कि इस मंदिर में जहां भगवान जगन्नाथ विराजमान हैं, वहां भगवान कृष्ण का दिल आज भी धड़कता है. हर 15 से 20 साल में मंदिर में जगन्नाथजी, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियां बदली जाती हैं और उसमें नई मूर्ति रख दी जाती है. आइये जानते हैं जगन्नाथ पुरी मंदिर के रहस्य के बारे में.

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भगवान कृष्ण की मृत्यु कैसे हुई? (Jagannath Puri Temple History)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने मनुष्य के रूप में जन्म लिया था, इसलिए वे भी कालचक्र से बंधे हुए थे. उनके शरीर को भी समाप्त होना था. महाभारत युद्ध के काफी समय बाद वह जंगल में एक पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे, तभी एक बहेलिया ने मछली की तरह उसके पैरों को देखकर बाण चला दिया. इससे भगवान कृष्ण की मृत्यु हो गई.

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श्रीकृष्ण का हृदय अग्नि में नहीं जला

कहा जाता है कि पांडवों ने भगवान कृष्ण के शरीर का अंतिम संस्कार किया था. आग ने उनके पूरे शरीर को जला दिया, लेकिन उनका शुद्ध हृदय नहीं जल सका. वह धड़क रहा था. तब पांडवों ने उनके हृदय को समुद्र के जल में प्रवाहित कर दिया.

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हृदय बन गया लट्ठ स्वरूप

वह पवित्र ह्रदय जल में तैरता हुआ पुरी के तट पर जा पहुंचा, जिसने एक लट्ठ का रूप धारण कर लिया था. राजा इंद्रद्युम्न को रात्रि में स्वप्न आया, जिसमें भगवान कृष्ण ने उन्हें दर्शन दिए और लट्ठ के रूप में हृदय के बारे में बताया. अगली सुबह राजा पुरी के समुद्र तट पर पहुंचे और उसे अपने साथ ले आए.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)