हरियाली तीज (Hariyali Teej 2022) शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है. हरियाली तीज का व्रत 31 जुलाई रविवार को है. यह व्रत सुखी दांपत्य जीवन, अखंड सौभाग्य और पति-पत्नी के बीच प्रेम भाव को बढ़ाने के लिए रखा जाता है. इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. हरियाली तीज पर हरे रंग का विशेष महत्व होता है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शुभ मुहूर्त और सही पूजा विधि के साथ हरियाली तीज (Hariyali Teej Vrat) की पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है. लेकिन आप इस बात का जरूर ध्यान रखें कि हरियाली तीज की पूजा में इससे संबंधित व्रत कथा (Hariyali Teej 2022 Vrat Katha In Hindi) जरूर पढ़ें या सुनें, तभी व्रत सफल माना जाता है.

हरियाली तीज की व्रत कथा

न्यूज़ 18 हिंदी न्यूज़ रिपोर्ट के मुताबिक, भगवान शिव माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराते हुए कहते हैं- हे पार्वती! तुमने पूर्वजन्म में मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठिन तप किया था और अन्न-जल को त्याग कर तुमने सभी ऋतुओं का कष्ट सहा. ये देखकर तुम्हारे पिताजी पर्वतराज अधिक दुखी थे. एक दिन नारद मुनि आपके घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा कि मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं. विष्णुजी आपकी कन्या पार्वती की कठोर तपस्या से अधिक प्रसन्न हुए.

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नारद मुनि की इस बात को सुनकर तुम्हारे पिता के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई और वे प्रसन्न हुए. इस प्रस्ताव को उन्होंने तुरंत स्वीकार कर लिया. उन्होंने नारद जी को बताया कि वे अपनी पुत्री पार्वती का विवाह विष्णुजी के साथ कराने के लिए तैयार हैं. फिर इसके बाद नारद मुनि ने विष्णुजी के पास पहुंकर उन्हें सभी बातें बताई. शिवजी माता पार्वती को आगे बताते हैं कि पार्वती! तुम्हारे पिता ने जब यह बात तुम्हें बताई तो तुम दुखी हो गई क्योंकि तुम मन से मुझे पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थी.

तुमने ये सभी बातें अपनी एक सखी को बताई. तुम्हारी सखी ने तुमको जंगल में रहकर मेरा स्मरण करने का सुझाव दिया. फिर तुम राजमहल को छोड़कर जंगल में चली गई और जंगल में रहकर तुमने मुझे पति के रूप में प्राप्त करने के लिए बहुत कठोर तपस्या की. वहीं तुम्हारे पिता पर्वतराज तुम्हारे लुप्त होने पर चिंता जाहिर करने लगे. उन्हें इस बात की चिंता होने लगी कि अगर इस बीच विष्णुजी बारात ले आए, तब क्या होगा.

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शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं- पार्वती! तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारे लुप्त होने के बाद सैनिकों को भेजकर खोज शुरू कर दी. उस समय तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन थी. फिर मैं तुम्हारी तपस्या से अधिक प्रसन्न हुआ और मैनें तुम्हरी मनोकामना को पूरा करने की बात को स्वीकार किया.

इधर तुम्हारे पिता पर्वराज भी गुफा में पहुंचे. जब तुमने उनको बताया कि कैसे तुमने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की. तुमने पिता पर्वराज को आगे बताया कि कठोर तपस्या अब सफल हो गई. पर्वतराज भगवान शिव और माता पार्वती की शादी के लिए राजी हो गए और उन्होंने विधि-विधान से शिव-पार्वती का विवाह कराया.

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उसी के फलस्वरूप हम दोनों की शादी संपन्न हुई. इसलिए जो स्त्री हरियाली तीज का व्रत करती है, उसे माता पार्वती की तरह अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)