प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को गुरु नानक जयंती (Guru Nanak Jayanti) का पर्व बड़ी ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस साल ये पर्व 8 नवंबर को मनाया जा रहा है. सिख धर्म के अनुयायियों के लिए यह जयंती बहुत ही महत्वपूर्ण होती है. इसी कारण इसे गुरु पूरब या प्रकाश पर्व के नाम से भी जाना जाता है. आपको बता दें कि इस दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. साल 1469 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही उनका जन्म हुआ था. इसी कारण इस दिन देश -विदेश के कोने-कोने में विभिन्न कार्यक्रम के साथ-साथ धार्मिक कीर्तन एवं लंगरों का आयोजन किया जाता है. 

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गुरु नानक जयंती का इतिहास

आपको बता दें कि गुरु नानक देव जी सिख धर्म के प्रथम गुरु माने गए हैं. 15 अप्रैल 1469 को गुरु नानक देव जी का जन्म तलवंडी ननकाना साहिब में हुआ था. इसी के चलते इन्हें नानक नाम से संबोधित किया जाता है. मान्यतानुसार, गुरु नानक देव जी ने ही सिख समाज की नींव रखी थी और गुरुनानक जी ही सिख धर्म के संस्थापक है. 16 साल की उम्र में गुरु नानक देव का विवाह लाखौकी नामक स्थान में रहने वाली सुलखनी नामक कन्या से हुआ था. इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मीचंद थे. माना जाता है कि पुत्रों के जन्म के बाद गुरु नानक देव अपने साथियों के साथ तीर्थ में निकल गए और भारत, अफगानिस्तान, फारस, अरब सहित कई देशों में भ्रमण करते हुए उपदेश देते थे. इन यात्राओं को पंजाबी में ‘उदासियां’ कहा गया है.गुरु नानक देव ने अपना जीवन मानव समाज के कल्याण में लगा दिया था. उनकी जन्म तिथि पर ही प्रकाश पर्व मनाया जाता है.

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गुरुनानक जयंती का महत्व

सिख धर्म के अनुयायियों के लिए इस पर्व का विशेष महत्व है, क्योंकि इसी दिन गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था. इसके साथ साथ इस दोनों को लोगों की सेवा करने के लिए बहुत जरूरी मानते हैं. साथ ही गुरु की शिक्षाओं को याद करने के लिए भी यह दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. आपको बता दें कि गुरु नानक जयंती पर लोग गुरुद्वारों की साफ-सफाई करने के बाद गुरद्वारों को सजाया जाता है. इसके बाद नगर कीर्तन के साथ प्रभातफेरी भी निकाली जाती है. आपको बता दें कि प्रभातफेरी गुरुद्वारे से शुरू होकर और नगर भ्रमण करने के बाद गुरुद्वारे तक वापस आती है. गुरु नानक जयंती के दो दिन पहले ही गुरुद्वारों पर गुरु ग्रंथ साहिब के अखंड पाठ का आयोजन किया जाता है. इसके बाद कई गुरुद्वारों पर धार्मिक आयोजनों और लंगरों का आयोजन किया जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.