Ganesh Visarjan Story: 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी की शुरुआत हुई थी. 28 सितंबर को गणेश चतुर्थी की समाप्ति हो रही है और इसी के साथ जिन लोगों ने गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की थी वो लोग विसर्जन भी करेंगे. गणेश चतुर्थी के मौके पर जो लोग गणेश जी की प्रतीमा को घर में, ऑफिस में या दूसरी किसी जगह रखते हैं तो उस प्रतीमा का विसर्जन 3, 5, 7 और 10 दिनों में करना जरूरी होता है. ऐसी परंपरा दशकों से चली आ रही है और अब इसे पूरे भारत में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. लेकिन बहुत से लोगों के मन में सवाल होता है कि आखिर गणेश विसर्जन करना क्यों जरूरी होता है. अगर आपके मन में भी है ये सवाल तो चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.

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क्यों किया जाता है भगवान गणेश की मूर्ति का विसर्जन? (Ganesh Visarjan Story in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान गणपति की प्रतिमा को जल में विसर्जित करना होता है. ऐसा कहा जाता है वेद व्यास जी भगवान गणेश को जो भी कथा सुनाते थे गणपति जी उसे लिखते थे. कथा सुनाते समय वेद व्यास जी ने अपने ने अपनी आंखें बंद की और 10 दिनों तक कथा सुनाते चले गए. जब 10वां दिन बाद व्यासजी ने आंख खोली तो गणपति जी का शरीर का तापमान बहुत बढ़ गया था तो उनके शरीर को ठंडा करने के लिए व्यासजी ने उन्हें जल में डुबा दिया और उनका शरीर ठंडा पड़ा गया. ऐसा माना जाता है कि उसी समय से ये मान्यता चली आ रही है कि गणेश चतुर्थी के दिन से गणपति बप्पा की प्रतिमा को रखकर उनका विसर्जन कर दिया जाता है. इस प्रथा को सदियों से लोग करते चले आ रहे हैं और इस पर्व की खासपर मान्यता महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे राज्यों में है.

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अनंत चतुर्दशी के दिन गणपति विसर्जन

अनंत चतुर्दशी के मौके पर गणपति बप्पा की विदाई होती है, लेकिन विष्णु भक्तों के लिए वह दिन खास होता है. अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है. विष्णु भक्त भगवान अनंत की पूजा करते हैं और अपने हाथों में अनंत सूत्र यानी अनंत धागा बांधते हैं. इस वर्ष अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ समय नीचे दिया गया है. अनंत चतुर्दशी पूजा का शुभ समय सुबह 06:12 बजे से शाम 06:49 बजे तक है. उस दिन आपको पूजा के लिए 12 घंटे 37 मिनट का समय मिलेगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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