हम सभी कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत के युद्ध के बारे में जानते हैं. इस युद्ध में भगवान कृष्ण अर्जुन के सारथी बने थे. जब अर्जुन के सामने अपने सगे भाई और गुरु, युद्ध मैदान में आए तो अर्जुन उन्हें देखकर विचलित हो गए. भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता उपदेश (Gita Updesh) दिए. भगवान कृष्ण के इस युद्ध में अर्जुन को दिए उपदेश को गीता ज्ञान कहा जाता है, जिसे हिंदू धर्म में श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से भी जाना गया है.

गुस्से पर रखें नियत्रंण

कुरुक्षेत्र के युद्ध में भगवान कृष्ण ने अर्जुन को बताया था कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन उसका गुस्सा होता है. गुस्से में मनुष्य की बुद्धि काम करना बंद कर देती है और वह यह समझ ही नहीं पाता कि वह क्या कर रहा है. ऐसे में वह अपनी खुद की हानि कर लेता है, इसलिए अपने गुस्से पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी है.

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अभ्यास करते जाएं

गीता में भगवान कृष्ण का एक उपदेश बताता है कि मनुष्य को सदैव अभ्यास करते रहना चाहिए. अभ्यास करने से मनुष्य का जीवन आसान हो जाता है. ऐसे में यदि किसी व्यक्ति का मन अशांत है तो उसे नियंत्रित करने का अभ्यास ही सबसे अच्छा मार्ग है.

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मन पर नियंत्रण जरूरी

ऐसा माना जाता है कि इस पृथ्वी पर मन की गति सबसे तेज होती है, इसलिए हर व्यक्ति को अपने मन को नियंत्रण में रखना बहुत जरूरी है. बच्चों को भी यह सिखाना बहुत जरूरी है कि अपने मन पर सदैव काबू रखें.

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कर्म करें

युद्ध में अर्जुन के विचलित हो जाने पर भगवान कृष्ण ने कहा था कि हर मनुष्य को कर्म करना चाहिए, फल की इच्छा नहीं करनी चाहिए. जैसा आपका कर्म होगा ईश्वर आपको उसके अनुरूप ही फल देंगे. यदि आप कार्य के पहले ही परिणाम की अपेक्षा करेंगे तो आपका मन भ्रमित हो जाएगा और आप अपना कर्म ठीक से नहीं कर पाएंगे.

(नोटः ये जानकारी एक सामान्य सुझाव है. इसे किसी तरह के प्रोफेशनल की सलाह के तौर पर न लें. आप इसके लिए संबंधित विशेषज्ञों से सलाह जरूर लें.)