Chhath Puja 2023 Katha in Hindi: पौराणिक कथाओं के अनुसार, छठ पूजा साल में दो बार मनाई जाती है. एक चैत्र माह के कृष्ण पक्ष में और दूसरी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में और दोनों की मान्यताएं एक ही होती हैं. छठ पूजा अमूमन उत्तर-पूर्व और बिहार में मनाई जाती है लेकिन अब इसका क्रेज देशभर में होने लगा है. ये पर्व 4 दिनों का होता है जो नहाय खाय से शुरू होता है, खरना, डूबते सूर्य को अर्घ्य और उगते सूर्य को अर्घ्य को समाप्त होता है. इस बार 25 मार्च से नहाय-खाय शुरू हुआ है जो 28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर समाप्त होगा. छठ पूजा की कथा भी होती है जिसे पूजा के दौरान व्रती पढ़ते या सुनते हैं.

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क्या है चैती छठ पूजा की कथा? (Chhath Puja 2023 Katha in Hindi)

सूर्य षष्ठी व्रत के दिन सूर्यदेव की पूजा के साथ छठ माता की पूजा का भी विधान है. छठ पूजा संतान को सुख प्रदान करने वाला मानते हैं. ब्रह्मवैवर्त पूराण में बताया गया है कि सृष्टि से पहले मनु स्वयंभू मनु के पुत्र प्रयव्रत के मरे हुए पुत्र को इन्होंने जीवन दिया था. जिसके बाद राजा प्रियव्रत ने अपनी प्रजा से कहा कि वह संतान के अच्छे स्वास्थ्य और सुख के लिए छठ व्रत करें. उस दिन से पूरा गांव छठ व्रत रखने लगा और जैसे जैसे गांव के लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में काम या किसी और वजह से बंटे तो छठ व्रत भी प्रचलित हो गया. ऐसी मान्यता है कि वर्तमान में भगवान राम और अंगराज कर्ण को सूर्यषष्ठी पूजा की शुरुआत करने वाला माना जाता है. इसके अलावा पौराणिक कथा के अनुसार, जब पांडव जुएं में सारा राजपाट हार गए तब द्रौपदी ने छठ व्रत रखा. द्रौपदी के व्रत के फल से पांडवों को राजपाट वापस मिला जिसके बाद से छठ व्रत को समृद्धि पाने के लिए भी रखा जाने लगा.

ऐसी मान्यता है कि चैत्र मास में वैवस्वत मनवंतर चलता है. जिसमें सूर्यदेव ने देवमाता अदिति के गर्भ से जन्म लिया और विवस्वान एंव मार्तकण्ड कहलाए. इनकी संतान वैवस्वत मनु हुए जिनसे सृष्टि का विकास हुआ था. इनकी संताने शनिदेव, यमराज, यमुना और कर्ण हुए. ऐसी मान्यता है कि भगवान राम इच्छवाकु कुल के राजा मनु के वंशज हैं. भगवान राम अपने कुल पुरुष सूर्यदेव की प्रसन्नता के लिए सूर्यपूजा और छठ व्रत करते थे.

चैती छठ पूजा विधि (Chaiti Chhath Puja Vidhi)

साल 2023 में चैती छठ का पर्व 25 मार्च से 28 मार्च के बीच मनाया जाने वाला है. चैती छठ 2023 का सुबह का अर्घ्य और पारण 28 मार्च को होगा. इस दौरान 25 से नहाय खाय शुरू होगा, 26 को खरना है, 27 को डूबते सूर्य की अर्घ्य देकर पूजा करनी है और 28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पूजा करने के साथ चैती छठ पूजा की समाप्ति होती है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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