Chhath Puja 2022: बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में छठ पूजा की दिवाली के बाद खूब धूम रहती है. बिहार के लोग छठ पूजा का बेसब्री के साथ इंतजार करते हैं और इस पर्व की खुशी हर बिहारियों के घरों में दिखती है. छठ पूजा के दौरान जब शाम का अर्घ्य दिया जाता है उसके बाद घरों में व्रत करने वाले कोसी भरते हैं. मगर ऐसा क्यों किया जाता है चलिए आपको इसकी मान्यता बताते हैं.
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छठ पूजा में क्यों भरी जाती है कोसी?
छठ व्रत करने वालों के यहां एक मान्यता होती है कि जब कोई शुभ काम जैसे शादी, मुंडन, जनेऊ होते हैं तो कोसी भरी जाती है. इसके अलावा जब किसी की मन्नत पूरी हो जाती है तब भी व्रत रखने वाला कोसी भरता है.
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इसमें दिये जलते हैं और 4 या 6 गन्नों का मंडप बनाकर उसमें अग्नि देव, गणेश भगवान और छठी मईया की पूजा की जाती है. इस दौरान पूड़ी और चने का भोग लगाया जाता है जो अगले दिन छठ पूजा के समापन के बाद बांटा जाता है. ऐसा कहा जाता है कि कोसी भरना बहुत ही भाग्य से हो पाता है और बहुत से लोग तो इसे और भी धूमधाम से करते हैं.
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ऐसी भी मान्यता है कि छठी मईया ने कई निसंतान लोगों को संताने दी हैं. ये व्रत संतान होने और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है जिसे महिला या पुरुष कोई भी रख सकता है. मगर ज्यादातर महिलाएं ही इस व्रत को रखती हैं. ये पर्व कार्तिक मास की छष्ठी पर होता है. इस साल ये 28 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक मनाया जाएगा.
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.