Chhath Puja Rules: इस वर्ष छठ पूजा का महापर्व 28 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 31 अक्टूबर तक चलने वाला है. इस त्योहार का उत्तर भारत में विशेष महत्व माना जाता है. आपको बता दें कि हमारे देश में जितने भी व्रत किए जाते हैं, उनमें सबसे कठिन व्रतों में छठ पूजा का व्रत शामिल है. छठ पूजा के दौरान सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है. इस पूजा की शुरुआत नहाए-खाए से होती है. दूसरा दिन खरना होता है और इस दिन पूजा के लिए प्रसाद बनाया जाता है. वहीं पूजा के तीसरे दिन व्रती डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत संपन्न किया जाता है.

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छठ पूजा का व्रत धारण करने वाले व्रती को व्रत शुरू करने से पहले सात्विक आहार का ही सेवन करना चाहिए. गरिष्ठ और तले-भुने खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करना चाहिए. क्योंकि ऐसा खानपान ग्रहण करने के बाद आपको प्यास लगने के आसार होते हैं और इससे आपका पेट भी गड़बड़ हो सकता है, जिससे आपको दिक्कत महसूस हो सकती है. इस स्थिति से बचने के लिए सादा और सात्विक भोजन ही करना चाहिए. इसके साथ ही लहसुन, प्याज, मीट, मछली, अंडा और शराब इत्यादि का सेवन व्रत से कुछ दिन पहले से ही बंद कर देना चाहिए.

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आपको बता दें कि इस व्रत के दौरान किए जाने वाले नियम कानून न सिर्फ व्रती के लिए होते हैं, बल्कि इनका पालन घर के हर सदस्य को करना चाहिए. दरअसल, छठ पूजा के दौरान घर से लेकर परिवार में शुद्धता का बहुत अधिक ध्यान देना पड़ता है. इसलिए व्रती के साथ-साथ उसके परिवार के लोगों को भी केवल सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. छठ पर्व के इन चार दिनों में परिवार के लोगों को भी मांस-मदिरा और तामसिक प्रवृत्ति वाली वस्तुएं से दूरी बना कर रखनी चाहिए. तभी यह व्रत पूर्णतया सफल माना जाता है.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)