Chhath Puja 2022 Calendar: बिहार का लोकप्रिय त्योहार छठ पूजा जल्द ही आने वाला है. छठ पूजा दिवाली के तीन बाद से शुरू हो जाता है. ये त्योहार बिहार का सबसे बड़ा त्योहार है जिसे अब देश-दुनिया में पहचान मिल चुकी है. ये व्रत संतान और परिवार में सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है. इस व्रत को ज्यादातर महिलाएं करती हैं लेकिन बहुत से पुरुष भी इस व्रत को परिवार और संतान के लिए रखते हैं. ये व्रत तीन दिनों का होता है जो बहुत कठिन माना जाता है. अब कौन सा दिन कब पड़ रहा है जिसकी डिटेल्स आपको हम देते हैं.

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छठ पूजा की शुरुआत और समापन की तारीख

नहाय खाय से शुरुआत: 28 अक्टूबर की सुबह व्रत रखने वाले घर की सफाई करके अच्छे से नहाते हैं. इसके बाद इस दिन लौकी और चने की सब्जी रोटी के साथ खाते हैं. घर में लहसुन-प्याज की मनाही हो जाती है और पूरा घर शुद्ध होना चाहिए इसलिए धूप जरूर जलाना चाहिए.

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खरना: 29 अक्टूबर को पूरा दिन निर्जला व्रत रखने के बाद रात के समय चूल्हे पर साफ गेहूं के आटे से बनी रोटी बनानी होती है. साथ में गुड़ की खीर और मूली खाना होता है. इसमें अगर कोई प्रसाद मांगता है तो उन्हें कभी मना नहीं करें. रोटी, गुड़ की खीर और मूली के अलावा कुछ भी नहीं खाना चाहिए.

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सूर्य अर्घ्य (शाम): 30 अक्टूबर को दिनभर निर्जला व्रत रखना होता है. फिर शाम के समय नंगे पांव गंगाघाट जाया जाता है. यहां घाट पर पूजा की जाती है और डूबते सूर्य को दूध से अर्घ्य दिया जाता है. ये अर्घ्य घर का कोई सदस्य ही दे सकता है, अगर कोई उपस्थित नहीं है तो किसी पंडित से भी ये करवाया जा सकता है. घाट से घर वापस आकर छठ मईया को याद करते हुए सो जाना चाहिए, अगर मन हो तो भजन भी कर सकते हैं.

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सूर्य अर्घ्य (सुबह) और समापन: 31 अक्टूबर को सुबह 4 बजे गंगाघाट जाकर पूजा की जाती है. इसके बाद उगते हुए सूर्य को दूध से अर्घ्य दिया जाता है. इसके बाद घर की शादीशुदा महिलाओं को सिंदूर लगाकर आंचल में प्रसाद दिया जाता है. इसके बाद सभी में प्रसाद वितरण करते हैं. इसके साथ ही व्रत रखने वाले पहले चना गुड़ खाकर व्रत खोलते हैं और उसके बाद उनका व्रत समापन हो जाता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.