हिंदू पंचांग के अनुसार आगामी 8 जुलाई के बाद शादी-ब्याह पर विराम लगने वाला है. 10 जुलाई को देवशयनी एकादशी है, इस तिथि पर भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते है और इसके बाद चातुर्मास लग जाता है. हिंदू धर्म में इन चार महीने कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है. दीवाली के बाद देवउठनी एकादशी पर ही शुभ मुहूर्त की शुरुआत होती है. आइए जानते हैं इन चार महीनों में कौन से शुभ काम वर्जित है और किस दिन से मांगलिग कार्यों को शुरू किया जा सकता है.
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विवाह मुहूर्त की तारीख
जुलाई- 3, 5, 6, 8
नवंबर- 21, 24, 25, 27
दिसंबर- 2, 7, 8, 9, 14
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चातुर्मास में वर्जित होते है ये काम
10 जुलाई 2022 का देवशयनी एकादशी है. इसे दिन से भगवान विष्णु शयन काल में चले जाएंगे. इसके बाद चातुर्मास शुरू हो जायेगा. चातुर्मास लगने के बाद हिंदू धर्म में शादियां, सगाई, गृह प्रवेश, मुंडन, जनेऊ संस्कार और अन्य शुभ काम वर्जित होते हैं. 4 नवंबर 2022 को देवउठनी एकादशी पर देव क्षीर निद्रा से जागेंगे तब जाकर चातुर्मास खत्म होगा और मांगलिक कार्य शुरू किये जाएंगे.
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चातुर्मास में मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते
हमारे यहां सूर्यदेव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है. दक्षिणायन होने पर सूर्य देव दक्षिण की ओर झुकाव के साथ गति करते हैं. दक्षिणायन काल को देवताओं की रात्रि माना गया है. दक्षिणायन को नकारात्मकता का और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है. यही वजह है कि इस दौरान मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है.
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चातुर्मास में करे ये काम
दक्षिणायन में सूर्य देव कर्क से मकर तक छह राशियों में होकर गुजरते हैं. इस दौरान पितरों की पूजा और स्नान-दान करने से बहुत लाभ होता है. दक्षिणायन काल में व्रत रखना, पूजा-पाठ करना फलदायी होता है. इसके साथ ही कहा जाता है कि चातुर्मास में खान पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इसके पीछे कारण है कि जब सूर्य पूर्व से दक्षिण दिशा की ओर चलते है तो ये समय सेहत के नजरिए से खराब होता है.
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.