Champa Shashti meaning, vrat story, puja vidhi; चंपा षष्ठी के त्योहार के दिन भगवान शिव और उनके पुत्र कार्तिकेय भगवान की पूजा की जाती है. यह त्योहार मुख्य रूप से कर्नाटक और महाराष्ट्र में मनाया जाता है. चंपा षष्ठी के दिन भक्त भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप की पूजा करते हैं. यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को यानी 29 नवंबर 2022 को मनाया जाने वाला है. इस त्योहार को मनाने के लिए भक्त पुणे के पास जेजुरी में भगवान खंडोबा के मंदिर जाते हैं. 

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चंपा षष्ठी 2022: तिथि और समय

षष्ठी तिथि प्रारंभ – 28 नवंबर 2022 – दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर

षष्ठी तिथि समाप्त – नवंबर 29, 2022 – सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर

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चंपा षष्ठी क्यों मनाया जाता है? (Champa Shashti vrat story)

एक बार मणि और मल्ल नाम के दो राक्षस थे जिन्होंने घोर तपस्या की और अजेय शक्तियां हासिल कीं. अपनी शक्तियों के घमंड में वे देवताओं और मनुष्यों को परेशान करने लगे. उन्होंने मणिचूर्ण पर्वत पर कब्जा कर लिया, जो तपस्या करने वाले कई ऋषियों का निवास था और उनकी तपस्या भंग कर दी. ऋषियों और देवताओं की प्रार्थना के बाद भगवान शिव ने भैरव का भयानक रूप धारण किया और पार्वती ने म्हालसा का रूप धारण किया. शिव ने अपने जटाओं से बड़ी संख्या में सेना को जन्म दिया, जिन्होंने राक्षसों से युद्ध किया. युद्ध मार्गशीर्ष के महीने में अमावस्या पर शुरू हुआ और षष्ठी तिथि के दिन खत्म हुआ. भगवान शिव के स्वरूप ने राक्षसों का विनाश किया. इसलिए चंपा षष्ठी के दिन को राक्षसों पर भगवान शिव की जीत के रूप में मनाया जाता है. 

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चंपा षष्ठी पर होती है भगवान शिव की पूजा 

ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शंकर की पूजा की जाती है. भगवान शिव का स्वरूप मार्कंडेय की पूजा होती है. उन्हें प्रसन्न करने के लिए एक विशेष पूजा रखी जाती है जिसे श्रद्धालु बहुत ही श्रद्धा के साथ करते हैं. भगवान शंकर की इस दिन सच्चे में से पूजा करने वालों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इसलिए मन को साफ रखें और दूसरों की मदद करते रहें, भगवान शंकर की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी.

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चंपा षष्ठी 2022 पूजा मुहूर्त (Champa Shashti muhurat)

– शुभ मुहूर्त: सुबह 06.45 मिनट से 08.05 मिनट तक

-लाभ प्रोत्साहन समय: दोपहर 12.06 बजे से दोपहर 01.26 बजे तक

-अमृत सर्वोत्तम मुहूर्त: दोपहर 01.26 मिनट से दोपहर 02.46 मिनट तक रहेगा.

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चंपा षष्ठी पूजा विधि (Champa Shashti puja vidhi)

सबसे पहले स्नान आदि से फ्री होकर चंपा षष्ठी व्रत और भगवान शिव की पूजा का संकल्प लेना चाहिए. फिर इसके बाद भगवान शिव के खंडोबा स्वरूप की पूजा-अर्चना करें और शिवलिंग का गाय के दूध और गंगाजल से अभिषेक करें. फिर भांग, बेलपत्र, मदार पुष्प, बाजरा, सब्जियां, बाजरा, हल्दी आदि अर्पित करें. इसके बाद भगवान महादेव की आरती करें और भगवान शिव के मंत्रों का जाप भी कर सकते हैं.

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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.