हर साल चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) का त्योहार मनाया जाता है. आपको बता दें कि इस बार चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) का त्योहार 22 मार्च, बुधवार से प्रारंभ हो रहा है. मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करने की परंपरा है. गौरतलब है कि नवरात्रि के नौ दिन बहुत खास होते हैं. इन दिनों में माता सती के 9 प्रमुख शक्तिपीठ के दर्शन करना बहुत ही शुभ माना गया है. मान्यता है कि नवरात्रि (Chaitra Navratri Special) के दिनों में प्रमुख शक्तिपीठ (Nine Shaktipeeth) के दर्शन करने से व्यक्ति के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता है.

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1- कालीघाट मंदिर

मान्यतानुसार, जब भगवान विष्णु ने अपना सुदर्शन चक्र मां सती पर चलाया, तो उनके शरीर के अंग जगह-जगह गिरे. इनमें कोलकाता का कालीघाट मंदिर भी एक है. कहा जाता है यहां मां के पांव की चार ऊंगलियां गिरी थी. यह मां सती के 52 शक्तिपीठों में प्रमुख शक्तिपीठ है.

2- ज्वाला देवी मंदिर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में कालीधर पहाड़ी के बीच में ज्वाला देवी मंदिर का देश विदेश में बहुत मान है, लोग बहुत दूर दूर से मां ज्वाला देवी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. बता दें कि यहां मां सती के नेत्र गिरने की बात बताई जाती है.

3- नैना देवी मंदिर

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में स्थित नैना देवी मंदिर भी काफी प्रसिद्ध मंदिर है. कहा जाता है कि यह मां सती के नेत्र गिरे थे, जिसके चलते इस मंदिर को नैना देवी मंदिर के नाम से जाना जाता है.

4- अम्बाजी का मंदिर

गुजरात और राजस्थान की सीमा बनासकांठा जिले की दांता तालुका में स्थित अम्बाजी का  मंदिर देवी सती को समर्पित 52 शक्तिपीठों में एक  है. मान्यतानुसार, यहां पर माता सती का हृदय गिरा था. नवरात्रि Chaitra Navratri Special में यहां पर भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है.

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5- हर सिद्धि माता मंदिर

मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित हर सिद्धि मंदिर प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है. मान्यतानुसार यहां पर मां सती का बांया हाथ और होंठ का ऊपरी हिस्सा गिरा था. नवरात्रि (Chaitra Navratri Special) में बहुत बहुत दूर दूर से लोग माता के दर्शन करने के लिए आते हैं

6- कामख्या देवी मंदिर

असम के गुवाहाटी में कामख्या देवी का मंदिर काफी प्रसिद्ध मंदिर है. कहा जाता है कि मां सती का योनि भाग यहां कटकर गिरा था. यही कारण है कि यहां योनि पूजन की मान्यता है और हर साल नवरात्रि के अवसर पर बहुत भीड़ भाड़ देखने को मिलती है.

7- तारापीठ

पश्चिम बंगाल के बीरभूल जिले में स्थित तारापीठ शक्तिपीठ मां तारा देवी को समर्पित है. मान्यतानुसार, यहां मां सती के नयन (तारा) गिरे थे. इस कारण इसका नाम तारापीठ पड़ा. तांत्रिक क्रिया और तंत्र-मंत्र की सिद्धि के लिए भी यह मंदिर बहुत प्रसिद्ध है.

8- श्री वज्रेश्वरी देवी मंदिर

माता सती के 9 शक्तिपीठों में एक श्री वज्रेश्वरी देवी मंदिर का भी विशेष मान है. कहा जाता है कि यहां पर मां सती का बांया वक्षस्थल गिरा था. स्तनभाग गिरने पर जो शक्ति प्रकट हुई थी वह व्रजेश्वरी कहलाई. यह मंदिर भी तंत्र-मंत्र साधना और ज्योतिष विद्या को लेकर बहुत प्रसिद्ध है.

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9- महालक्ष्मी मंदिर

महाराष्ट्र के कोल्हापुर में स्थित महालक्ष्मी का मंदिर भी प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है. मान्यतानुसार, यहां मां सती का त्रिनेत्र गिरा था. आपको बता दें कि इस मंदिर में साल में एक बार सूर्य की किरणें सीधे देवी मां की प्रतिमा पर पड़ती हैं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)