Bhado Budhwa Mangal 2023: हिंदू धर्म में हनुमान जी को शक्तिशाली देवता माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि कलयुग में भी हनुमान जी धरती पर हैं और त्रेता युग में श्रीराम ने उन्हें कलयुग के अंत रहने का वरदान दिया था. हनुमान जी श्रीराम के परमभक्त हैं और शक्ति में, बुद्धि में सबसे ऊपर हैं. हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हर मंगलवार को भक्त विशेष पूजा करते हैं लेकिन कुछ ऐसी तिथि भी हैं जिसमें उनकी पूजा की जाती है. उनमें से एक है भाद्रपद मास या भादो में पड़ने वाले आखिरी मंगलवार जिसे बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल कहा जाता है. इस दिन की कथा और पूजा विधि के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं.

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भादो में बुढ़वा मंगल क्यों मनाया जाता है? (Bhado Budhwa Mangal 2023)

1 सितंबर 2023 को भाद्रपद या भादो मास शुरू हुआ था जो 29 सितंबर 2023 को समाप्त होगा. मान्यता है कि भाद्रपद के अंतिम मंगलवार को बुढ़वा मंगल या बड़ा मंगल मनाया जाता है इसलिए इस साल ये दिन 26 सितंबर दिन मंगलवार को पड़ेगा. इस दिन भगवान हनुमान जी की विधिवत पूजा करना शुभ होगा. पौराणिक कथा के अनुसार, महाभारत काल और रामायण काल से बुढ़वा मंगल मनाने का इतिहास जुड़ा है. ऐसा माना जाता है कि महाभारत काल में हजारों हाथियों के समान बल वाले भीम को अपनी शक्तियों पर बहुत घमंड था. एक बार हनुमान जी ने बूढ़े वानर का रूप लेकर एक जगह विश्राम करने की तरकीब लगाई.

Hanuman Jayanti Wish
हनुमान जी की पूजा में सिंदूर जरूर शामिल किया जाता है. (फोटो साभार: Unsplash)

पूंछ बिछाए वो विश्राम कर रहे थे कि भीम ने उन्हें बूढ़ा वानर कहकर उनका अपमान किया और लांघते हुए जाने लगे लेकिन हनुमान जी ने उन्हें अपनी पूंछ हटाने को कहा और वो वीर भीम ऐसा करने में असमर्थ हुए. इसके बाद हनुमान जी अपने असली रूप में आए और उन्हें सबक सिखाकर उनका घमंड चूर चूर किया. हनुमान जी ने कहा कि किसी को भी कम नहीं समझना चाहिए और ना ही किसी पशु, पक्षी, पीड़ित या बूढ़े का उपहास ही करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि जब ये घटना हुई तो भाद्रपद का आखिरी मंगल था और तभी से ये दिन मनाया जाने लगा.

कैसे करें हनुमान जी की पूजा (Hanuman ji Puja Vidhi)

बड़े मंगल के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ-सुथरा वस्त्र धारण करें. इसके बाद हनुमान जी की प्रतिमा के सामने अपने व्रत का संकल्प लें. इसके बाद हनुमान जी की तस्वीर पर लाल फूल चढ़ाएं और हनुमान चालिसा का पाठ भी करें. इसके अलावा अगर आपकी सामर्थ्य है तो सुंदरकांड का पाठ कराएं या अखंड रामायण भी करा सकते हैं. इसके बाद भंडारा इत्याति कराकर आप इस पूजा का समापन कर सकते हैं. अगर ज्यादा की सामर्थ्य नहीं है तो घर पर ही सुंदरकांड करें और प्रसाद को वितरण करके खुद भी उसे खाएं.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ओपोई इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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