Apara Ekadashi Vrat Katha in Hindi: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व बताया गया है. साल में 24 एकादशी होती है और महीने में 2 एकादशी का व्रत पड़ता है. हर एकादशी व्रत के खास मायने होते हैं. ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर अपरा एकादशी पड़ती है और इस साल ये दिन 15 मई दिन सोमवार को पड़ा है. मान्यता है कि अपरा एकादशी (Apara Ekadashi 2023) का व्रत प्रेतयोनी से मुक्ति के लिए रखा जाता है. भगवान विष्णु की विशेष पूजा करके आप उनकी कृपा के पात्र बन सकते हैं. चलिए आपको अपरा एकादशी की कथा, आरती, पूजा विधि और महत्व के बारे में बताते हैं.

यह भी पढ़ें: Box Office Collection में ‘द केरल स्टोरी’ ने 10वें दिन बनाया रिकॉर्ड, फिल्म साबित हुई Box Office Bomb

क्या है अपरा एकादशी की कथा? (Apara Ekadashi Vrat Katha in Hindi)

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महीध्वज नाम का एक धर्मात्मा राजा था. राजा का छोटा भाई वज्रध्वज अपने बड़े भाई के प्रति द्वेष रखा करता था. एक दिन उसे मौका मिला तो उसने अपने भाई यानी राजा की हत्या कर दी. जंगल में एक पीपल के पेड़ के नीचे उनका शव दफना दिया. अकाल मृत्यु होने की वजह से राजा की आत्मा प्रेत बनकर पीपल के पेड़ पर रहने लगी. वहां से आने-जाने वालों को आत्मा परेशान किया करती थी. एक दिन वहां से एक ऋषि गुजरे तो उन्होंने देखा तो उन्होंने अपने तपोबल से उस प्रेत से ऐसा बनने का कारण जाना. ऋषि ने पीपल के पेड़ से उस राजा की आत्मा को नीचे उतारा और परलोक विद्या का उपदेश देने लगे. राजा को प्रेत योनी से मुक्ति दिलाने के लिए ऋषि ने स्वंय अपरा एकादशी का व्रत रखा. द्वादशी के दिन व्रत पूरा होने के बाद व्रत का पुण्य तुरंत प्रेत को मिला और वह स्वर्ग चला गया. ऐसी मान्यता है कि अगर किसी को लगता है कि उनके प्रियजन मरने के बाद भी भटक रहे हैं तो वो उनके लिए विधिवत अपरा एकादशी का व्रत रख सकते हैं. इससे उन प्रेत आत्मा को प्रेतयोनी से मुक्ति मिलेगी.

यह भी पढ़ें: Surya Rashi Parivartan 2023: इस दिन होगा सूर्य परिवर्तन जिसके साथ बदलेगी इ 4 राशि वालों की किस्मत, जानें

अपरा एकादशी पूजा विधि (Apara Ekadashi Puja Vidhi)

अपरा एकादशी के एक दिन पहले यानी 14 मई से ही लहसुन-प्याज त्याग दें. 15 मई की सुबह-सुबह उठें और पूजा स्थल की सफाई करके स्नान कर लें. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने हाथ में जल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें. इसके बाद पीले रंग के वस्त्र पहनें और व्रत शुरू करें. दिनभर लोगों की मदद करें, अच्छे काम करें और शाम को विशेष पूजा करें. लाल कपड़े को एक पटरे पर बिछाकर मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की मूर्ति या पोस्टर रखें. उन्हें तिलक लगाएं और फूल चढ़ाएं. इसके बाद भोल तुलसी दल के साथ लगाएं और अपरा एकादशी का व्रत पढ़ें. भगवान विष्णु की आरती उतारें और पूरे घर में जल का छिड़काव करें. इसके बाद फलहारी करें और अगले दिन व्रत का पारण करें.

यह भी पढ़ेंः Box Office Collection: अप्रैल 2023 में रिलीज हुई 10 फिल्मों में कौन हिट कौन फ्लॉप, 4 फिल्में साबित हुई Disaster